Murder: उत्तर प्रदेश में सुलतानपुर में ऋषिकेश सिंह हत्याकांड में 17 साल बाद तीन आरोपित दोषी करार, साक्ष्य के अभाव में एक बरी



ऋषिकेश सिंह हत्याकांड: 17 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला संवाद सूत्र, सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में ऋषिकेश सिंह की हत्या के मामले में मंगलवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट…

ऋषिकेश सिंह हत्याकांड: 17 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला

संवाद सूत्र, सुलतानपुर। उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में ऋषिकेश सिंह की हत्या के मामले में मंगलवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए तीन आरोपितों को दोषी करार दिया है। न्यायाधीश राकेश ने इन आरोपितों को जेल भेजने का आदेश दिया है, जबकि एक अन्य आरोपित को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है। न्यायालय बुधवार को दोषियों को सजा सुनाने वाला है।

मामला तब का है जब 9 फरवरी 2008 को ऋषिकेश सिंह, जो कि एमजीएस इंटर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल गोरखनाथ सिंह के भतीजे थे, की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उनके खिलाफ तलवार, तमंचा, लोहे के राड, हाकी, डंडा और क्रिकेट बैट जैसे धारदार और भरी हथियारों का प्रयोग किया गया था। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया था और इसके पीछे के कारणों की अन्वेषण में पुलिस जुट गई थी।

हत्या का मामला: आरोपी और सुनवाई की प्रक्रिया

ऋषिकेश की हत्या का मामला उनके बड़े भाई राकेश सिंह द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे के माध्यम से सामने आया। राकेश ने शहर के लोलेपुर निवासी इरफान उर्फ जानी, आजाद, बाबुल और नयानगर सिरवारा रोड निवासी सौरभ मिश्र के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 10 गवाहों को पेश किया, जिन्होंने घटना के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

  • अभियोजन पक्ष के वकील संजय सिंह और वादी मुकदमा के अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा ने गवाहों के माध्यम से अपनी बातों को साबित करने का प्रयास किया।
  • कोर्ट ने इरफान उर्फ जानी, बाबुल और सौरभ मिश्र को दोषी ठहराते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।
  • आजाद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है, जबकि दो किशोरों के मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में चल रही है।

क्षेत्र में सुरक्षा और न्याय का सवाल

इस फैसले ने सुलतानपुर के निवासियों में एक नई उम्मीद जगाई है। लंबे समय से इस मामले में न्याय की प्रतीक्षा कर रहे परिवार वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। स्थानीय लोग इस घटनाक्रम को लेकर उत्सुक हैं और यह देखना चाहते हैं कि कोर्ट अगले दिन दोषियों को किस प्रकार की सजा सुनाती है।

ऋषिकेश सिंह की हत्या ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या हमारे समाज में कानून और व्यवस्था की स्थिति सुधारने की आवश्यकता है? जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो यह न केवल पीड़ित परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन जाती है।

निष्कर्ष

ऋषिकेश सिंह हत्याकांड का फैसला निश्चित रूप से न्याय के प्रति लोगों की आशाओं को फिर से जीवित करता है। इस मामले में न्यायालय का निर्णय यह दर्शाता है कि कानून अपना काम करेगा और अपराधियों को सजा मिलेगी। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि समाज में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे।

आगे आने वाले समय में यह देखना होगा कि क्या इस फैसले से अन्य अपराधियों में डर और कानून का सम्मान बढ़ेगा या नहीं। सुलतानपुर के लोग अब भी न्याय की और उम्मीद लगाए हुए हैं।

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