Judicial Remand: अखिलेश दुबे की 14 दिन की रिमांड मंजूर, 2011 केस में FIR



कानपुर में होटल संचालिका पर हुए हमले का मामला: आरोपित को न्यायिक रिमांड जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर में होटल संचालिका प्रज्ञा त्रिवेदी द्वारा दर्ज की गई डकैती और मारपीट के…

कानपुर में होटल संचालिका पर हुए हमले का मामला: आरोपित को न्यायिक रिमांड

जागरण संवाददाता, कानपुर। कानपुर में होटल संचालिका प्रज्ञा त्रिवेदी द्वारा दर्ज की गई डकैती और मारपीट के मामले में आरोपित अखिलेश दुबे को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। यह मामला साल 2011 का है, जब प्रज्ञा ने अपने होटल के प्रति हुई आपराधिक गतिविधियों को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। प्रज्ञा के मामले में पिछले 14 वर्षों के बाद अब फिर से कोर्ट के आदेश पर पुनर्विवेचना की जा रही है, जो कानूनी प्रक्रिया के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

रंगदारी मांगने का आरोप

प्रज्ञा त्रिवेदी ने बताया कि उनका एक होटल था, जो उन्होंने 2009 में पार्टनरशिप में खोला था। आरोप है कि उसी होटल में अधिवक्ता अखिलेश दुबे, उसके टाइपिस्ट अजय निगम और अन्य आरोपितों ने घुसकर उनसे दो लाख रुपये की रंगदारी मांगी। जब प्रज्ञा ने पैसे देने से मना किया, तो आरोपितों ने उन्हें पीटा और उनके रिश्तेदार से जबरन 1.20 लाख रुपये ले लिए। प्रज्ञा ने इस मामले की शिकायत पुलिस में की थी, लेकिन सुनवाई न होने पर उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

पुलिस की भूमिका और आरोप

प्रज्ञा की शिकायत के बाद जब पुलिस ने मामले की जांच की, तो उन्होंने 2011 में अखिलेश का नाम जबरन हटा दिया और केवल अजय निगम व अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ डकैती, मारपीट और धमकी की धाराओं में मामला दर्ज किया। इसके बाद, प्रज्ञा ने कोर्ट में पुनर्विवेचना की गुहार लगाई, जिसके बाद मामले को लेकर गंभीरता से सुनवाई शुरू की गई। 22 सितंबर को अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन ईशा अग्रवाल की कोर्ट ने प्रज्ञा की बात सुनी और पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए कि मामले की समीक्षा एसीपी स्तर के अधिकारी द्वारा की जाए।

न्याय की उम्मीद: पीड़िता के बयान

जांच अधिकारी एसीपी चित्रांशु गौतम ने पीड़िता के मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज किए। प्रज्ञा ने अपने बयान में कहा कि अखिलेश दुबे, भूपेश अवस्थी, उसके बेटे रोहित अवस्थी, अजय निगम का भाई अनुज निगम और अन्य अज्ञात लोग असला लेकर आए थे और उन्हें लात-घूसों से पीटा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपितों ने उन्हें समय पर रुपये भिजवाने की धमकी भी दी थी। इस सबके बाद, विवेचक ने कोर्ट में न्यायिक रिमांड की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

अखिलेश दुबे की अदालती पेशी में गड़बड़ी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, जब अखिलेश दुबे को कोर्ट में पेश करना था, तो वह बीमारी का बहाना बनाकर जेल से बाहर नहीं निकल रहे थे। इसके बावजूद, काफी प्रयास के बाद उन्हें कोर्ट लाया गया। कोर्ट में पहुंचने के बाद भी, वह हस्ताक्षर करने में आनाकानी कर रहे थे, जिससे पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए। इस मामले में प्रज्ञा त्रिवेदी को न्याय मिलने की उम्मीद है, जबकि आरोपित की चालाकी और अदालती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

मामले की गंभीरता और आगे की कार्रवाई

फिलहाल, कानपुर में यह मामला स्थानीय पुलिस और न्यायालय के लिए एक चुनौती बन गया है। प्रज्ञा त्रिवेदी के साथ हुए अन्याय को देखते हुए अब यह देखना होगा कि न्यायालय इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या आरोपितों के खिलाफ सबूतों के आधार पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रज्ञा की ओर से उठाए गए कदम और न्यायिक प्रक्रिया में उनकी सक्रियता इस मामले की प्रगति को दर्शाती है।

इस प्रकार, कानपुर का यह मामला न केवल प्रज्ञा त्रिवेदी के लिए बल्कि समस्त कानूनी प्रणाली के लिए एक सिखने का अवसर है। न्याय का यह संघर्ष यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड़ सकता है, भले ही इसके लिए उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़े।

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