Liquor मामला: चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत 29 अक्टूबर तक बढ़ी



छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत बढ़ी चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत बढ़ी छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य…



छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत बढ़ी

चैतन्य बघेल की न्यायिक हिरासत बढ़ी

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को 29 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। रायपुर की एक विशेष अदालत ने 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मामले में उनकी हिरासत को 14 दिन के लिए बढ़ा दिया है। इस निर्णय के पीछे का उद्देश्य सभी आरोपियों के लिए एक समान सुनवाई का आयोजन करना है, जिसमें कई राजनेता और व्यवसायी शामिल हैं।

अदालत का यह निर्णय सभी आरोपियों की हिरासत की अवधि को समान रूप से रखने के लिए लिया गया है, ताकि 29 अक्टूबर को उनकी सुनवाई एक साथ हो सके। इससे पहले की हिरासत अवधि 15 अक्टूबर को समाप्त होने वाली थी। इस मामले में चल रही जांच में विभिन्न उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों की भूमिकाओं की गहनता से जांच की जा रही है।

घोटाले की गंभीरता और राजनीतिक प्रभाव

छत्तीसगढ़ में यह मामला सार्वजनिक और राजनीतिक ध्यान का केंद्र बना हुआ है, जिससे जवाबदेही और शासन के मुद्दों पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को महत्वपूर्ण होगी, जो इस उच्च-जोखिम वाली कानूनी लड़ाई के भविष्य का निर्धारण करेगी।

इस मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) का आरोप है कि चैतन्य बघेल ने इस घोटाले से 1000 करोड़ रुपये की अवैध आय को चैनलाइज करने में एक केंद्रीय भूमिका निभाई। रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कंपनियों और रियल एस्टेट सौदों में सीधे 16.70 करोड़ रुपये का निवेश किया।

चार्जशीट की स्थिति और कानूनी प्रक्रिया

ईओडब्ल्यू ने 13 अक्टूबर को चार्जशीट दायर करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, जिसे अदालत ने 15 अक्टूबर तक बढ़ा दिया। हालांकि, चार्जशीट अभी भी लंबित है, जिसके कारण अदालत ने सभी आरोपियों की हिरासत अवधि को एकीकृत करने का निर्णय लिया।

3200 करोड़ रुपये का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला माना जा रहा है, जो भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2019-2022) के दौरान राज्य की शराब नीति में हुए परिवर्तनों से जुड़ा है।

सरकारी शराब नीति में बदलाव और उसके परिणाम

2019 की नीति में बदलाव के कारण सरकार ने शराब की खरीद, वितरण और बिक्री पर नियंत्रण को केंद्रीकृत कर दिया, जिससे कथित तौर पर नकली शराब की आपूर्ति, नकद लेन-देन और शराब माफियाओं को प्राथमिकता देने की स्थिति उत्पन्न हुई।

इन अनियमितताओं ने विशाल वित्तीय गड़बड़ियों को बढ़ावा दिया, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा। जांच के दौरान सामने आए तथ्यों ने यह साबित किया है कि इस घोटाले ने न केवल वित्तीय अपराधों को जन्म दिया, बल्कि राजनीतिक स्थिरता को भी चुनौती दी है।

भविष्य की कानूनी लड़ाई

जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है, यह स्पष्ट हो रहा है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति और समाज इस घोटाले के परिणामों के प्रति सजग है। 29 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई इस बात का निर्धारण करेगी कि क्या अन्य आरोपियों के खिलाफ भी आरोप लगाए जाएंगे और क्या चैतन्य बघेल की स्थिति में कोई बदलाव आएगा।

इस मामले में सभी की नजरें अदालत के फैसले पर टिकी हैं, जो न केवल चैतन्य बघेल के भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव छोड़ेगी।


Author:-