टीचर Arrested: उच्च न्यायालय ने पूरी पेंशन और ग्रेच्युटी के अधिकार की पुष्टि की



झारखंड हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: शिक्षक को मिलेगी पेंशन और ग्रेच्युइटी नई दिल्ली: झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि एक शिक्षक, जिसे नैतिक…

झारखंड हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: शिक्षक को मिलेगी पेंशन और ग्रेच्युइटी

नई दिल्ली: झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि एक शिक्षक, जिसे नैतिक गिरावट के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और बाद में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया, को उसकी पेंशन और ग्रेच्युइटी लाभ प्राप्त करने का अधिकार है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जाता, तब तक आपराधिक मामलों की प्रक्रिया के चलते उसके सेवानिवृत्ति के कानूनी लाभों को रोकना उचित नहीं है।

कोर्ट ने पेंशन नियमों का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन और ग्रेच्युइटी सेवाओं के लिए दी गई अदायगी होती हैं और इन्हें मनमाने तरीके से नहीं रोका जा सकता। इस फैसले ने यह सिद्धांत मजबूत किया है कि कानूनी दंड का पालन उचित प्रक्रिया के अनुसार होना चाहिए, और केवल आरोपों के आधार पर किसी कर्मचारी को अर्जित सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता।

शांति देवी का मामला: एक शिक्षक की कहानी

इस मामले में शांति देवी, जो रांची विश्वविद्यालय की पूर्व व्याख्याता हैं, शामिल हैं। उन्हें 2011 में झारखंड लोक सेवा आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताओं के लिए सतर्कता विभाग द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और 2014 में उन्हें जमानत मिली, जिसके बाद उन्होंने अपनी ड्यूटी फिर से शुरू की। हालांकि, 2018 में उन्हें झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।

हालांकि 2020 में उनके भविष्य निधि के लाभ रिलीज कर दिए गए, लेकिन उनकी पेंशन, ग्रेच्युइटी और अवकाश नकदकरण के लाभों को चल रहे आपराधिक मामलों के कारण रोक दिया गया। हाई कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि बिना किसी दोषसिद्धि के इन लाभों को रोकना अवैध है।

न्यायिक पूर्वाग्रह और सेवानिवृत्ति लाभ

यह निर्णय झारखंड में पूर्व के न्यायिक फैसलों के अनुरूप है, जो यह स्पष्ट करता है कि कानूनी सेवानिवृत्ति लाभ केवल लंबित आपराधिक मामलों के आधार पर नहीं रोके जा सकते। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर्मचारियों के अर्जित अधिकारों की रक्षा की जाए और उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाए।

  • कोर्ट ने कहा कि पेंशन और ग्रेच्युइटी लाभों को रोकना उचित नहीं है जब तक कि किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जाता।
  • शांति देवी की गिरफ्तारी और बाद के घटनाक्रम ने इस मामले को महत्वपूर्ण बना दिया।
  • इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए।

झारखंड हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल शांति देवी के लिए, बल्कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल स्थापित करता है। यह दर्शाता है कि जब तक किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से दोषी नहीं ठहराया जाता, तब तक उसके सेवानिवृत्ति लाभों को रोकना अनुचित है।

इस निर्णय के माध्यम से, कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि न्याय प्रणाली में कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उन्हें उनके मेहनत से अर्जित लाभों से वंचित नहीं किया जाए। यह फैसला आने वाले समय में अन्य मामलों में भी एक मार्गदर्शक नियम के रूप में काम करेगा।

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