बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच सियासी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। विपक्षी दलों के महागठबंधन द्वारा सीटों के बंटवारे की घोषणा की उम्मीद है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने जानकारी दी है कि महागठबंधन में सभी चीजें तय हो चुकी हैं और सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा सार्वजनिक किया जाएगा।
महागठबंधन की महत्वपूर्ण बैठकें
महागठबंधन में सीट शेयरिंग के अंतिम निर्णय पर मुहर लगाने के लिए RJD के प्रमुख नेता जैसे तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी दिल्ली में एकत्रित हुए हैं। इस दौरान तेजस्वी यादव की कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ महत्वपूर्ण बातचीत होने की संभावना है। यह बैठकें न केवल सीट बंटवारे के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि राजनीतिक रणनीतियों को भी आकार देने में मदद करेंगी।
दिल्ली यात्रा का एक अन्य पहलू यह है कि लालू परिवार को सोमवार को ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले के मामले में दिल्ली की अदालत में पेश होना है। इस बीच, पटना में RJD कार्यकर्ताओं ने टिकटों की मांग को लेकर लालू और तेजस्वी को घेरने की कोशिश की, जिससे स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी यह दर्शाती है कि पार्टी में आंतरिक विवाद भी बढ़ते जा रहे हैं।
NDA की तैयारी और टिकटों का बंटवारा
वहीं दूसरी ओर, सत्तारूढ़ गठबंधन राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) में भी टिकट बंटवारे को लेकर हलचल बढ़ी हुई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। आज देर शाम को होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में सभी फाइनल नामों पर सहमति बन सकती है। यह बैठक NDA के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चुनावी रणनीति को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अधिकारी सूत्रों के अनुसार, BJP ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों का चयन कर लिया है, लेकिन कुछ सीटों पर अभी भी विचार-विमर्श चल रहा है। NDA के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर कुछ असहमति भी देखने को मिल रही है, जो चुनावी माहौल को और अधिक रोचक बनाती है।
महागठबंधन की चुनौतियाँ
महागठबंधन के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। एक ओर टिकटों को लेकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी तो दूसरी ओर सीटों के बंटवारे में घटक दलों के बीच सामंजस्य बनाना। अगर महागठबंधन यह सुनिश्चित नहीं कर पाता कि सभी दल संतुष्ट रहें, तो यह उनकी चुनावी संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। कार्यकर्ताओं की भावनाएँ और उनकी मांगें चुनावी जीत के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए नेताओं को इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
सियासी भविष्य की अनिश्चितता
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, बिहार की सियासत में अनिश्चितता भी बढ़ती जा रही है। सभी दल अपनी-अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। महागठबंधन और NDA दोनों ही अपनी-अपनी चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं, जिससे यह तय होगा कि कौन सा गठबंधन बिहार की सियासत में अपना वर्चस्व स्थापित कर पाएगा।
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक गतिविधियों का जो माहौल बन रहा है, वह आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाएगा। सभी दलों को अपनी रणनीतियों को सही तरीके से लागू करना होगा, ताकि वे चुनावी मैदान में सफल हो सकें। यह चुनाव न केवल बिहार की सियासत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे देश की राजनीति में भी एक नया अध्याय लिखने का अवसर प्रदान करेगा।