जबलपुर में घोड़ों की अनियंत्रित मौत का मामला
जबलपुर में हैदराबाद से लाए गए घोड़ों की संदिग्ध मौत के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि इस मामले में पुलिस ने पहले ही प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर ली है। यह मामला तब सामने आया जब घोड़ों की मौत के कारण पशु प्रेमियों और समाज में गहरा रोष उत्पन्न हुआ।
याचिकाकर्ता का पक्ष और सुनवाई का विवरण
याचिकाकर्ता, जबलपुर निवासी पशु प्रेमी सिमरन इस्सर ने याचिका में यह बताया कि हैदराबाद के सुरेश पाल, जो गुडू हॉर्स पावर लीग के संस्थापक हैं, ने घोड़ों की रेसिंग करवाई थी। उन्होंने यह रेस दिल्ली के रेस क्लब में करवाई थी और इसके माध्यम से ऑनलाइन सट्टा भी लगवाया गया था। याचिका के अनुसार, सुरेश पाल के पास 150 से अधिक घोड़े थे, जिनका रखरखाव सही तरीके से नहीं किया गया।
घोड़ों की देखभाल की कमी के कारण मौतें
सालों से घोड़ों की देखभाल में लापरवाही के कारण हाल ही में 90 घोड़ों की मौत हो गई। सिमरन इस्सर ने बताया कि सुरेश पाल ने चार महीने पहले अपने कर्मचारियों का वेतन देना बंद कर दिया था, जिसके कारण घोड़ों को भोजन और देखभाल नहीं मिल पाई। इस वजह से कई घोड़ों की स्थिति गंभीर हो गई। इसके बाद, इन घोड़ों को जबलपुर लाकर एक स्थान पर रखा गया, जहां उनकी उचित देखभाल नहीं की गई।
हैदराबाद से जबलपुर लाए गए घोड़ों का आंकड़ा
जानकारी के अनुसार, 57 घोड़े जबलपुर लाए गए थे, जिनमें से 12 की मौत हो चुकी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अभी तक 18 घोड़ों की मौत हो चुकी है। रास्ते में लाते समय छह घोड़े भी मर गए थे। इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर और घोड़ों के केयर टेकर संजय तिवारी ने हलफनामे के माध्यम से घोड़ों की मौत के कारण, उपचार की जानकारी और भोजन व्यवस्था की रिपोर्ट पेश की है।
अगली सुनवाई की तारीख
याचिका की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की गई है। इस सुनवाई में याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रीतिका गोयल का पक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यह मामला न केवल घोड़ों की मौत से संबंधित है, बल्कि यह पशुओं के प्रति मानवता की जिम्मेदारी को भी उजागर करता है।
समाज में बढ़ता रोष
घोड़ों की इस अनियंत्रित मौत ने समाज में गहरा आक्रोश पैदा किया है। पशु प्रेमियों और समाजसेवियों ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है। यह मामला यह दर्शाता है कि हमें अपने चार-पैर वाले दोस्तों के प्रति ज़िम्मेदार रहना चाहिए और उनकी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़नी चाहिए।
निष्कर्ष
जबलपुर में घोड़ों की मौत का यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे समाज में पशु कल्याण की आवश्यकता को भी उजागर करता है। हमें चाहिए कि हम सभी इस मामले पर ध्यान दें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
इस प्रकार के मामलों में हमें एकजुट होकर काम करना होगा ताकि हम अपने चार-पैर वाले दोस्तों की रक्षा कर सकें।