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कानपुर समाचार: भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी से हर महीने दो लाख रुपये लेने वाले रावतपुर थाना प्रभारी केके मिश्रा को निलंबित किया गया है। उच्चाधिकारियों ने इंस्पेक्टर की संदिग्ध गतिविधियों पर ध्यान दिया और यह गठजोड़ स्पष्ट हो गया।

रावतपुर थाना प्रभारी केके मिश्रा – फोटो : amar ujala
विस्तार
कानपुर में रावतपुर के थाना प्रभारी केके मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि वे भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी से हर माह दो लाख रुपये लेकर उसके लिए काम कर रहे थे। यह कार्रवाई डीसीपी वेस्ट दिनेश त्रिपाठी ने की है। उच्चाधिकारियों को केके मिश्रा और नेगी के बीच बातचीत के कई ऑडियो मिले थे, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि उनके बीच एक गहरा गठजोड़ था। इन ऑडियो में नेगी ने मिश्रा से अपनी गतिविधियों के बारे में चर्चा की थी, जिससे यह संदेह और भी गहरा गया।
इंस्पेक्टर केके मिश्रा की मिलीभगत के कारण ही भूमाफिया गजेंद्र सिंह नेगी की गिरफ्तारी में बाधा आ रही थी। जब क्राइम ब्रांच ने नेगी को पकड़ने की योजना बनाई, तब केके मिश्रा ने उसकी पत्नी को इस दबिश की जानकारी दे दी थी। लेकिन इस सब के बावजूद, क्राइम ब्रांच ने नेगी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की। यह घटना कानपुर में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है और यह दर्शाती है कि कैसे कुछ पुलिस अधिकारी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं।
इस मामले में क्या हुआ?
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब उच्चाधिकारियों ने रावतपुर थाना प्रभारी केके मिश्रा की गतिविधियों पर संदेह जताया। इसके बाद, एक गुप्त जांच शुरू की गई, जिसमें यह पुष्टि हुई कि मिश्रा और नेगी का एक आपराधिक गठजोड़ है। इस गठजोड़ के चलते न केवल पुलिस के कामकाज में बाधा आई, बल्कि यह भी देखा गया कि कैसे एक पुलिस अधिकारी अपने कर्तव्यों से भटककर अपराधियों के साथ खड़ा हो सकता है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों ने इस मामले पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो कानून को अपने हाथ में लेते हैं। उनका मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में विश्वास को कमजोर करती हैं और पुलिस व्यवस्था को दागदार बनाती हैं।
निष्कर्ष
कानपुर में हुए इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार और अपराध का गठजोड़ कैसे समाज को प्रभावित कर रहा है। पुलिस विभाग में ऐसे तत्वों को खत्म करना आवश्यक है ताकि आम जनता को सुरक्षा का एहसास हो सके। उच्चाधिकारियों को चाहिए कि वे इस तरह के मामलों की गहन जांच करें और दोषियों को सजा दिलवाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।