बिहार में मुस्लिम नेतृत्व को हाशिए पर डालने का आरोप
जागरण संवाददाता, बरेली। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा मुस्लिम नेतृत्व को हाशिए पर डालने के प्रयासों के समान, अब बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। यह बयान आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जारी किया।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि बिहार में चुनावी गतिविधियां तेज हो चुकी हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी चुनावी तैयारियों में जुटे हैं। उन्होंने विशेष रूप से सहरसा में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव द्वारा आयोजित वोट अधिकार रैली का जिक्र किया, जहां मंच पर 25 नेताओं में से एक भी मुस्लिम चेहरा मौजूद नहीं था। इस बात को लेकर मौलाना ने गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि यह मुस्लिम समुदाय के प्रति एक गंभीर संकेत है।
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के दौरे पर सवाल
मौलाना ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने बिहार में एक महीने तक दौरा किया, लेकिन इस दौरान कहीं भी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं दिखाई दिया। यह तथ्य चिंताजनक है, क्योंकि बिहार की कुल जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। ऐसे में इस समुदाय की अनदेखी करना अत्यंत गलत है। मौलाना ने यह भी कहा कि तेजस्वी यादव मुस्लिम नेतृत्व को हाशिए पर डालकर उनकी राजनीतिक आवाज को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे अपने मतदान के फैसले को समझदारी से लें। मौलाना का कहना है कि राजनीतिक दलों को मुस्लिम समुदाय की जरूरतों और उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। यह समुदाय केवल वोट बैंक नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो बिहार की सामाजिक और राजनीतिक संरचना का अभिन्न अंग है।
राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी
मौलाना ने यह भी कहा कि सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने मंच पर विविधता का ध्यान रखें और सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व दें। चुनावी रैलियों में मुस्लिम चेहरों की अनुपस्थिति से यह स्पष्ट होता है कि कुछ दल मुस्लिम नेताओं को उचित स्थान नहीं दे रहे हैं।
बिहार में आगामी चुनावों को लेकर मौलाना की चिंता इस दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है कि सही नेतृत्व का चयन काफी हद तक चुनावी परिणाम पर निर्भर करता है। अगर मुस्लिम समुदाय को उनकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के अनुसार प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है, तो इसका परिणाम उनके राजनीतिक अधिकारों के हनन के रूप में सामने आ सकता है।
मुस्लिम समुदाय का भविष्य
मौलाना ने अंत में कहा कि बिहार के मुसलमानों को अपने भविष्य को लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्हें यह समझना होगा कि उनकी राजनीतिक भागीदारी और सही निर्णय लेना आवश्यक है। अगर वे सही नेतृत्व का चयन नहीं करते हैं तो न केवल उनके अधिकारों का हनन होगा, बल्कि उनकी पहचान भी संकट में पड़ सकती है।
इस तरह, मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी का बयान बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में मुस्लिम समुदाय की स्थिति को उजागर करता है। यह समय है कि मुस्लिम समुदाय अपनी आवाज उठाए और अपनी राजनीतिक ताकत को पहचान पाए।