Baby Taj: 20 कमरों में भरा कीचड़, दरवाजे टूटी हुई स्थिति में – आगरा समाचार



यमुना की बाढ़ से एत्माउद्दौला स्मारक को हुआ नुकसान यमुना नदी में आई बाढ़ ने आगरा स्थित एत्माउद्दौला स्मारक, जिसे बेबी ताज भी कहा जाता है, को गंभीर रूप से…

यमुना की बाढ़ से एत्माउद्दौला स्मारक को हुआ नुकसान

यमुना नदी में आई बाढ़ ने आगरा स्थित एत्माउद्दौला स्मारक, जिसे बेबी ताज भी कहा जाता है, को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। स्मारक के भूमिगत तहखाने में मौजूद 20 कोठरियों में बाढ़ का पानी भरने के बाद एक फुट तक सिल्ट जमा हो गई है। तेज धारा के दबाव के चलते कई लकड़ी के दरवाजे भी टूट गए हैं, जिससे इसके सुरक्षा में भी कमी आई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों ने बताया है कि इस माह के अंत तक मरम्मत कार्य शुरू किया जाएगा।

बाढ़ के कारण स्मारक की सुरक्षा में खतरा

एत्माउद्दौला मकबरे की कोठरियों में यमुना का बाढ़ का पानी भर गया था, जिसके कारण यहां संगमरमर की मछली भी पानी में डूब गई थी। यह मछली स्मारक के पीछे बने प्लेटफॉर्म पर स्थित थी। कोठरियों का तल इस मछली से ऊपर है, और बाढ़ के कारण यहां करीब 6 फीट तक पानी भर गया था। पानी के उतरने के बाद अब एक फुट तक सिल्ट देखी जा रही है। इस सिल्ट का हटाना एएसआई के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इससे कोठरियों के संरक्षण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

कोठरियों में सिल्ट हटाने का कार्य

एएसआई के संरक्षण सहायक अंकित नामदेव ने बताया कि इस माह के अंत तक कोठरियों से सिल्ट हटाने का कार्य शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही, जिन दरवाजों को नुकसान पहुंचा है, उनकी मरम्मत का भी काम किया जाएगा। बाढ़ के कारण कोठरियों में जो सिल्ट जमा हुई है, वह अब तक गीली है, जिससे इसके हटाने का कार्य समय पर शुरू नहीं किया जा सका है।

भूतकाल की बाढ़ों के अनुभव

गौरतलब है कि वर्ष 1978 की बाढ़ में एत्माउद्दौला स्मारक की कोठरियों में 8 फीट तक सिल्ट जमा हो गई थी। इस बार, हालांकि, सिल्ट का स्तर कम है, और प्लेटफ़ॉर्म पर 6 से 10 इंच तथा कोठरियों के अंदर एक फुट तक सिल्ट जमा हुई है। इससे पहले, वर्ष 1924 और 1978 की बाढ़ में भी स्मारक की कोठरियों में भारी मात्रा में सिल्ट जमा हुई थी। पिछले बाढ़ के कारण जमा सिल्ट को हटाने का कार्य 2014 में शुरू किया गया था, तब वर्ल्ड मॉन्यूमेंट फंड ने स्मारक की सभी 20 कोठरियों से सिल्ट बाहर निकालने का कार्य किया था।

एत्माउद्दौला: मुगलों की कला का अद्भुत नमूना

एत्माउद्दौला स्मारक को मुगल साम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा ग्यास बेग की स्मृति में 1622 में बनवाया था। यह स्मारक 1628 में पूरा हुआ और इसे पहली बार कीमती पत्थरों से पच्चीकारी के लिए जाना जाता है। यह पच्चीकारी का सबसे महीन और शानदार नमूना है, जो बाद में ताजमहल पर भी उपयोग किया गया। यह स्मारक 149 फीट वर्गाकार प्लेटफॉर्म पर बना है, जो जमीन से 3 फीट 4 इंच ऊपर स्थित है।

स्मारक के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

बाढ़ के बाद एत्माउद्दौला स्मारक की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एएसआई द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं। इस स्मारक की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए, इसे संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। एएसआई के अधिकारियों का मानना है कि समय रहते इन समस्याओं का समाधान कर लिया जाएगा, ताकि स्मारक को भविष्य में किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सके।

निष्कर्ष

यमुना नदी की बाढ़ ने एत्माउद्दौला स्मारक को नुकसान पहुंचाया है, लेकिन एएसआई की तत्परता और संरक्षण के प्रयासों से उम्मीद की जा सकती है कि इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनः सुरक्षित किया जाएगा। स्मारक की पच्चीकारी और वास्तुकला इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं, जिसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।

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