दिवाली का पर्व हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और इस अवसर पर सभी घरों में विशेष तैयारियाँ की जाती हैं। घरों की सजावट और साफ-सफाई के साथ-साथ, पूजा स्थल और मुख्य द्वार पर ‘स्वास्तिक’ का चिन्ह बनाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। स्वास्तिक को शुभता, कल्याण और मंगल का प्रतीक माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके घर में सकारात्मकता, समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करता है। इसे भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है, जो सभी विघ्नों को दूर करते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि स्वास्तिक को गलत तरीके से बनाने पर इसका शुभ प्रभाव भी उल्टा हो सकता है? अक्सर लोग एक छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण गलती कर देते हैं, जिसके बारे में सही जानकारी होना बहुत आवश्यक है। आइए जानते हैं वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से स्वास्तिक बनाने के दौरान की जाने वाली इस गलती के बारे में और साथ ही स्वास्तिक बनाने के नियमों के बारे में भी।
स्वास्तिक बनाते समय लाइन को क्रॉस करने की गलती
स्वास्तिक बनाते समय लोग आमतौर पर एक बड़ी गलती करते हैं, जो है इसे केवल दो कटी हुई सीधी रेखाओं के रूप में बनाना। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्वास्तिक को एक-दूसरे को काटती हुई रेखाओं से नहीं बनाना चाहिए। जब आप बीच में क्रॉस या कट लगाते हैं, तो यह स्वास्तिक की ऊर्जा को विभाजित कर देता है, जिससे इसकी सकारात्मकता प्रभावित होती है। इसे ‘अशुभ क्रॉस’ के रूप में भी देखा जाता है, जो स्वास्तिक के शुभ प्रभाव को बाधित करता है।
स्वास्तिक एक ऐसा चिन्ह है जो अपनी भुजाओं के माध्यम से ब्रह्मांड की ऊर्जा को ग्रहण करता है। बीच में क्रॉस लगाना इस ऊर्जा के निरंतर प्रवाह को बाधित कर देता है, जिससे शुभ परिणाम कम हो सकते हैं। इसलिए, स्वास्तिक बनाने में सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है।
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स्वास्तिक बनाने का सही तरीका और नियम
स्वास्तिक हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में बनाया जाना चाहिए, क्योंकि यह ब्रह्मांड की शुभ ऊर्जा के घूमने की दिशा है। स्वास्तिक की शुरुआत एक सीधी रेखा से करें, जो ऊपर से नीचे की ओर हो। इसके बाद, बिना लाइन को उठाए या क्रॉस किए, इसकी चारों भुजाओं को बाहर की ओर (घड़ी की सुई की दिशा में) मोड़ते हुए बनाएं। इसे एक निरंतरता में बनाना चाहिए।
पूर्ण और शुद्ध स्वास्तिक तब माना जाता है जब इसकी चारों भुजाओं के बीच चार छोटी बिंदियां लगाई जाती हैं। ये चार बिंदियां चारों वेदों का प्रतीक मानी जाती हैं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं।
स्वास्तिक बनाने के लिए हमेशा हल्दी, रोली, कुमकुम या चंदन का उपयोग करें। इन सामग्रियों में विशेष दैवीय ऊर्जा होती है। वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते समय इसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की है, इसलिए यहाँ स्वास्तिक बनाने से धन लाभ की संभावना बढ़ जाती है।
स्वास्तिक को कभी भी टूटा-फूटा या अशुद्ध नहीं बनाना चाहिए। हमेशा साफ और शुभ स्वास्तिक ही बनाएं, तभी आपको इसका पूर्ण और मंगलकारी फल प्राप्त होगा।
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image credit: herzindagi
FAQ
- दिवाली के दिन दरवाजे पर कौन से शुभ चिन्ह लगाने चाहिए?
- दिवाली के दिन दरवाजे पर स्वास्तिक, शुभ-लाभ और श्री जैसे शुभ चिन्ह लगाने चाहिए।
- दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर क्या नहीं रखना चाहिए?
- दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर भूल से भी कूड़ेदान और शूरैक नहीं रखने चाहिए।