“Protection: संतान की सुरक्षा के लिए मां क्यों पहनती हैं स्याहु माता की माला, जानें इसके पीछे का धार्मिक महत्व”



अहोई अष्टमी का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत करती हैं। माताएं इस…

अहोई अष्टमी का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत करती हैं। माताएं इस दिन पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात में तारे देखकर उन्हें अर्ध्य देकर इस व्रत को पूरा करती हैं। इस दिन कई माताएं स्याहु माता की माला पहनने का विशेष महत्व मानती हैं। ऐसा माना जाता है कि यह माला संतान के जीवन में आने वाली हर तरह की परेशानियों को दूर करती है। आइए, इस लेख में हम विस्तार से जानते हैं कि माताएं स्याहु माता की माला क्यों पहनती हैं और इसका क्या महत्व है।

कौन हैं स्याहु माता?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्याहु माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। अहोई अष्टमी के दिन इनकी पूजा की जाती है, क्योंकि यह दिन संतान के कल्याण के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि जब बच्चे छोटे होते हैं, तो उन पर नकारात्मक ऊर्जा या बुरी शक्तियों का प्रभाव जल्दी पड़ सकता है। स्याहु माता उन सभी दुष्प्रभावों से बच्चों की रक्षा करती हैं और उनके जीवन में सुख और समृद्धि बनाए रखती हैं। इस कारण माताएं इस दिन स्याहु माता की माला बनाकर धारण करती हैं, ताकि बच्चों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

अहोई अष्टमी पर स्याहु माता की माला का क्या है महत्व?

अहोई अष्टमी पर स्याहु माता की माला का विशेष महत्व होता है। इस दिन की पूजा-संस्कार के बिना व्रत अधूरा माना जाता है। माताएं इस दिन स्याहु माता की माला को काले, नीले या भूरे रंग के मोतियों से तैयार करती हैं। इसे धारण करने से नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। इस माला में एक सुरक्षा कवच भी होता है, जिसमें माता की आकृति बनाई जाती है। इसे पहनने के बाद माताएं पूजा करती हैं, जिससे उनके बच्चों के जीवन में आने वाले संकट कम होते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि स्याहु माता की आराधना से न केवल संतान की रक्षा होती है, बल्कि घर में शांति और सकारात्मकता भी बनी रहती है। यह माला मां और बच्चे के बीच एक अटूट बंधन का प्रतीक होती है, जो हर मुश्किल समय में सुरक्षा की ढाल बनकर कार्य करती है। स्याहु माता की माला केवल एक आभूषण नहीं, बल्कि यह मातृत्व के भाव और विश्वास का प्रतीक है। माताएं इस माला के माध्यम से अपने बच्चों के लिए सुरक्षा की कामना करती हैं, जिससे उनका जीवन सुखमय हो सके।

अहोई अष्टमी पर आयोजित होने वाली पूजा और स्याहु माता की माला की धारण का महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। यह माताओं के लिए एक ऐसा अवसर है, जब वे अपने बच्चों के लिए अपनी प्रार्थनाओं और आशीर्वादों को समर्पित करती हैं। इस दिन की पूजा से माताएं न केवल अपने बच्चों की भलाई की कामना करती हैं, बल्कि अपने परिवार में भी स्नेह और प्रेम का संचार करती हैं।

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