Festivals: त्योहारों के सीजन में आम और अशोक के पत्तों की तोरण बदलने का शुभ समय जानें



त्योहारों का मौसम हर घर में खुशी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब भी त्योहार नजदीक आता है, तब घरों की सजावट की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।…

त्योहारों का मौसम हर घर में खुशी और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। जब भी त्योहार नजदीक आता है, तब घरों की सजावट की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग पूजा-पाठ की तैयारी के साथ-साथ अपने घर को सजाने में जुट जाते हैं। घर की सजावट में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाना। तोरण सामान्यतः अशोक या आम के पत्तों से बनाया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा को घर के भीतर आकर्षित करता है। तोरण केवल सजावट का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह किसी भी घर की शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। खासकर आम और अशोक के पत्तों की बनी तोरण को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। हालांकि, बहुत से लोग तोरण लगाने के बाद इसे समय पर नहीं बदलते, जिससे नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। इस संदर्भ में ज्योतिषविद् पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि तोरण को कब और कैसे बदलना चाहिए।

तोरण लगाने का महत्व

भारतीय संस्कृति में दरवाजे पर तोरण लगाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। यह न केवल घर की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से भी घर की रक्षा करता है। आम और अशोक के पत्ते विशेष रूप से तोरण के लिए शुभ माने जाते हैं। आम का पेड़ समृद्धि और जीवन की ऊर्जा का प्रतीक है, जबकि अशोक का पेड़ शांति और सौहार्द का प्रतीक है। यही कारण है कि इन्हीं दो पत्तों से तोरण बनाना प्रचलित है।

तोरण को बदलना क्यों है जरूरी

त्योहारों के दौरान आम और अशोक की तोरण के पत्ते कुछ दिनों में सूख जाते हैं। इस स्थिति में माना जाता है कि सूखे पत्तों वाली तोरण से घर की सकारात्मक ऊर्जा कम हो सकती है। ज्योतिष विशेषज्ञों का यह मानना है कि समय-समय पर सूखे पत्तों को बदलना अत्यंत आवश्यक है। दरवाजे पर लगा नया तोरण न केवल देखने में आकर्षक लगता है, बल्कि इससे ऊर्जा का प्रवाह भी बेहतर बना रहता है।

तोरण बदलने का शुभ समय क्या होता है

ज्योतिष के अनुसार, तोरण बदलने का सबसे शुभ समय त्योहारों की शुरुआत से पहले या फिर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन होता है। सुबह के समय सूर्य की रोशनी में तोरण बदलना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और परिवार के सभी सदस्य स्वास्थ्य, संपत्ति और सुख-शांति का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही ध्यान रखें कि तोरण लगाने के दो हफ्ते बाद इसे बदलना चाहिए, क्योंकि आम और अशोक की पत्तियां लगभग दो हफ्ते तक हरी रहती हैं। जैसे ही पत्तियां सूखने लगें, तो तुरंत नए तोरण की व्यवस्था कर लें।

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तोरण लगाने का सही तरीका क्या होता है

  • जब भी आप दरवाजे पर तोरण लगाएं, तो दरवाजे के ऊपर या सामने साफ और सुव्यवस्थित स्थान चुनें।
  • हमेशा तोरण के लिए ताजे आम और अशोक के पत्ते लें। पुराने या सूखे पत्तों का इस्तेमाल न करें।
  • दरवाजे के आकार के अनुसार तोरण की लंबाई और चौड़ाई तय करें। आम के पत्तों की संख्या 7, 11, 21 या 51 की संख्या में रखें।

घर के मुख्य द्वार को सजाने और उसमें सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए तोरण लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि तोरण सही दिशा में लगाया जाए तो इससे धन लाभ, मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है। इसके पत्ते समय पर बदलने से ऊर्जा का सही संतुलन बना रहता है।

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