झारखंड सरकार पर बीजेपी का गंभीर आरोप
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तूहीन सिन्हा ने बुधवार को झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर 2000 करोड़ रुपये के घोटाले में लिप्त होने का आरोप लगाया है। यह घोटाला जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) से संबंधित है, जो कि खनन जिलों में समुदाय विकास के लिए स्थापित किया गया था।
डीएमएफ ट्रस्ट का गठन और उसके उद्देश्य
सिन्हा ने नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह ट्रस्ट मार्च 2015 में बने खनिज संशोधन अधिनियम के तहत स्थापित किया गया था। यह अधिनियम खनन जिलों को उनके रॉयल्टी राजस्व का 10 से 30 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित क्षेत्रों के सामुदायिक विकास के लिए आवंटित करने का प्रावधान करता है।
घोटाले का विवरण और संभावित दुष्प्रभाव
सिन्हा के अनुसार, यह घोटाला बोकारो में सामने आया है और इसे केवल “बर्फ का ताज” बताया है। उन्होंने कहा कि यह घोटाला झारखंड राज्य के लिए और भी गंभीर परिणाम पैदा कर सकता है। बीजेपी के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दी है, जिसमें अनुमानित रूप से 2000 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो विभिन्न प्रशासनिक पक्षों द्वारा गबन किए गए हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज
सिन्हा ने विपक्षी नेताओं, विशेष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने सुझाव दिया कि यह घोटाला अनधिकृत रूप से धन के प्रवाह की एक बड़ी योजना का हिस्सा हो सकता है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को यह बताना चाहिए कि क्या वह इस घोटाले के माध्यम से धन की चोरी में भागीदार हैं।”
घोटाले का प्रभाव और न्यायिक प्रक्रिया
यह घोटाला उन फंडों के दुरुपयोग के इर्द-गिर्द घूमता है, जो खनन से प्रभावित समुदायों की भलाई के लिए निर्धारित किए गए थे। इससे झारखंड में शासन और जवाबदेही के मुद्दों पर गंभीर चिंता उत्पन्न हुई है।
बीजेपी की मांगें और उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया
बीजेपी प्रवक्ता ने वर्तमान झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन पर आदिवासी समुदायों को कमजोर करने और उनके संसाधनों का शोषण करने का आरोप लगाया है। 13 अक्टूबर को झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को अगले चार सप्ताह के भीतर एक औपचारिक उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, क्योंकि कानूनी प्रक्रिया जारी है।
राज्य सरकार की फंड प्रबंधन की आलोचना
बीजेपी ने राज्य सरकार से अधिक कठोर निगरानी की मांग की है, आरोप लगाते हुए कि वह आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए निर्धारित फंड का गलत प्रबंधन कर रही है। पार्टी का कहना है कि यह घोटाला केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार नहीं है, बल्कि यह उन समुदायों के खिलाफ अपराध है जो इस धन के वास्तविक हकदार हैं।
निष्कर्ष
इस मामले ने झारखंड की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है, जहां एक ओर बीजेपी सरकार की जवाबदेही मांग रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। इस घोटाले को लेकर आगे की कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं देखने लायक होंगी।