Ahooi Aashtami: नई पायल और बिछिया पहनने के नियम जानें पंडित जी से



अहोई अष्‍टमी: संतान सुख के लिए विशेष व्रत 13 अक्‍टूबर को मनाया जाने वाला अहोई अष्‍टमी का त्‍योहार विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि…

अहोई अष्‍टमी: संतान सुख के लिए विशेष व्रत

13 अक्‍टूबर को मनाया जाने वाला अहोई अष्‍टमी का त्‍योहार विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जो कि करव चौथ के व्रत के समान है, परंतु इसका पारण तारे को देखकर किया जाता है। अहोई अष्‍टमी के इस दिन का महत्व केवल व्रत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके साथ जुड़े नियम और परंपराएं भी इसे खास बनाते हैं।

इस पर्व के दौरान महिलाएं अपने शरीर को पवित्र रखने के लिए ध्यानपूर्वक नियमों का पालन करती हैं। विशेषकर नए आभुषण पहनने के संदर्भ में कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है। उज्‍जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, अहोई अष्‍टमी के दिन बिछिया और पायल पहनने के संदर्भ में शास्त्रों में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।

नई बिछिया या पायल पहनने की धार्मिक मान्यता

अहोई अष्‍टमी के दिन महिलाएं पूजा के समय सजती-संवरती हैं और नए वस्त्र या आभूषण पहनना शुभ मानती हैं। लेकिन, बिछिया और पायल जैसे आभूषणों के मामले में शास्त्रों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। पंडित मनीष शर्मा का कहना है, “यदि आप नई बिछिया या पायल पहनने की सोच रही हैं, तो इसे सुबह या पूजा से पहले नहीं पहनना चाहिए।”

व्रत के दौरान शरीर और मन की पवित्रता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक होता है। इसलिए, नई बिछिया या पायल को पहले पूजा स्‍थल के पास रखकर माता अहोई का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद, तारे को देखने के बाद या व्रत पूर्ण होने के बाद इसे पहनना अधिक शुभ माना जाता है।

सुबह के समय नई बिछिया न पहनने के कारण

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि व्रत के दौरान किसी भी नई या तेज धार वाली वस्तु का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह दिन तपस्या और संयम का प्रतीक होता है। बिछिया को विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे किसी शुभ अवसर पर पहनना उचित होता है। लेकिन अहोई अष्‍टमी का दिन तपस्या और त्याग का होता है, जिससे इस दिन नए गहनों की बजाय सादगी से पूजा और व्रत का पालन करना अधिक उचित होता है।

यदि नई बिछिया या पायल पहनना आवश्यक हो तो पालन करें ये नियम

कई बार महिलाओं को किसी विशेष कारण से नई बिछिया या पायल पहनने की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि किसी रस्म, उपहार या पारिवारिक परंपरा के तहत। ऐसे में पंडित मनीष शर्मा ने कुछ सरल उपाय बताए हैं:

  • नई बिछिया या पायल को माता अहोई की मूर्ति या चित्र के पास रखें और उनके चरणों में हल्दी, अक्षत और फूल अर्पित करें।
  • माता अहोई से प्रार्थना करें कि यह आभूषण शुभता, समृद्धि और संतान सुख देने वाला हो।
  • तारा देखने के बाद व्रत पूर्ण कर जल ग्रहण करने के पश्चात ही नई बिछिया या पायल पहनें।
  • धारदार किनारों से बचें: यदि बिछिया या पायल में तेज किनारे हों, तो उसे पहनने से पहले थोड़ी चिकनाई या कपड़ा लपेट लें ताकि वह शरीर को न चुभे।

अहोई अष्‍टमी का महत्व और सावधानियाँ

अहोई अष्‍टमी के दिन नए आभुषण पहनना वर्जित नहीं है, लेकिन यदि आप इसे शुभ मानती हैं तो पूजा के बाद पहनना बेहतर होता है। यह ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है कि कोई भी चीज आपके शरीर को चोट या चुभन न दे, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से संतान को अनजाने में कष्ट हो सकता है।

इसलिए, अहोई अष्‍टमी के व्रत को पूरी श्रद्धा और सावधानी के साथ करना चाहिए। इस दिन की विशेषताएँ और नियम केवल धार्मिक आस्था के लिए नहीं, बल्कि संतान के स्वास्थ्य और सुख के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे शेयर और लाइक करना न भूलें। इसी तरह के और भी लेखों के लिए हरजिंदगी से जुड़े रहें।

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