Ahoi Ashtami: जानें व्रत खोलने का सही समय, पारण का मुहूर्त और अन्य आवश्यक नियम



अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व खासकर माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन…

अहोई अष्टमी का व्रत भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व खासकर माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए उपवास रखती हैं और विशेष रूप से अहोई माता की पूजा करती हैं। यह व्रत करवा चौथ के समान है, लेकिन इसमें चंद्रमा की जगह तारे को अर्घ्य दिया जाता है। इस लेख में हम इस व्रत की विधि, महत्व और विशेष नियमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी का व्रत मुख्य रूप से माताओं द्वारा संतान की भलाई और उनकी लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं दिनभर उपवास रखकर संतान की खुशियों की कामना करती हैं। इसके साथ ही, इस व्रत का एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। पंडित सौरभ त्रिपाठी के अनुसार, “यह व्रत न केवल संतान के लिए, बल्कि संपूर्ण परिवार के कल्याण के लिए भी किया जाता है।”

इस दिन माताओं को संयम और श्रद्धा के साथ पूजा करनी होती है। अहोई माता की पूजा के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है, जिसमें चावल, फल और मिठाई शामिल होते हैं। व्रत के अंतिम चरण में माता अहोई का आभार व्यक्त करना भी महत्वपूर्ण होता है।

अहोई अष्टमी पारण का मुहूर्त 2025

इस वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। पूजा से लेकर व्रत खोलने तक का सही समय इस प्रकार है:

  • व्रत की तिथि: 13 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:50 बजे से 07:10 बजे तक
  • तारों के दर्शन का समय: लगभग शाम 05:55 बजे
  • व्रत पारण (व्रत खोलने) का समय: शाम 06:05 बजे के बाद

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी पर महिलाएं चंद्रमा को नहीं, बल्कि तारे को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं। माना जाता है कि तारा माता अहोई का दूत है और उसके दर्शन के बाद व्रत पूर्ण होता है।

व्रत खोलने की विधि और नियम

व्रत खोलने की विधि को सही तरीके से जानना बहुत जरूरी है। पारण के समय माताएं विशेष ध्यान देती हैं कि व्रत खोलने का समय सही हो। व्रत खोलने के बाद, माताएं अपने बच्चों के लिए अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं। पूजा के दौरान विशेष रूप से संयम बरतना बहुत आवश्यक होता है।

ज्योतिषाचार्य सौरभ त्रिपाठी ने बताया कि, “इस दिन माताओं को विशेष रूप से संयम, श्रद्धा और शुद्धता का पालन करना चाहिए। व्रत पारण के समय माता अहोई का आभार अवश्य व्यक्त करें।” उन्होंने यह भी कहा कि व्रत के दौरान मन की शांति और सकारात्मकता बनाए रखना आवश्यक है।

अहोई अष्टमी की पूजा में ध्यान देने योग्य बातें

अहोई अष्टमी की पूजा में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए:

  • पूजा के सामान में ताजे फलों और मिठाइयों का प्रयोग करें।
  • तारों की पूजा के समय साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों के लिए प्रसाद बनाएं।
  • सभी सदस्यों का आशीर्वाद लेकर व्रत का पारण करें।

इस व्रत का आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह माताओं का अपने बच्चों के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन की पूजा से न केवल संतान की उम्र बढ़ती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है।

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