बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनावी बिगुल बज चुका है
भारत के चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी बिगुल बजा दिया है। 243 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होगा, जबकि वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी। यह चुनाव बिहार की राजनीतिक तस्वीर को बदलने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का सीट बंटवारा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जनता दल (यू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सीटों का बंटवारा तय कर लिया है। दोनों दल 101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि हम (हमारा आम आदमी) और रालोजपा (रामविलास पासवान) 6-6 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (LJP-RV) कुल 29 सीटों पर चुनाव मैदान में है।
महागठबंधन की चुनौती
वहीं, महागठबंधन NDA के खिलाफ एकजुट हो रहा है। राजद (राष्ट्रीय जनता दल), कांग्रेस, वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) और वामपंथी दल नीतीश कुमार की सरकार को चुनौती देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। महागठबंधन का उद्देश्य चुनाव में एक मजबूत मोर्चा बनाना है, जिससे NDA के खिलाफ एक प्रभावी मुकाबला हो सके।
जन सुराज का नया मोड़
दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत किशोर की जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस फैसले से चुनावी समीकरण में नया मोड़ आ गया है और यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर की रणनीति ने महागठबंधन और NDA दोनों को ध्यान में रखने वाली स्थिति पैदा कर दी है।
मुस्लिम-बहुल सीटों पर AIMIM की चुनौती
असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने पिछले चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद इस बार कई सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इससे मुस्लिम-बहुल सीटों पर ध्रुवीकरण का डर पैदा हो गया है। ओवैसी की पार्टी का प्रभाव चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
पार्टी-वार उम्मीदवारों की सूची
चुनाव में उतरे प्रमुख दलों और उनके उम्मीदवारों की पूरी सूची इस प्रकार है:
निर्वाचन क्षेत्र | NDA | महागठबंधन | जन सुराज |
अलामनगर |
स्वतंत्र और बागी उम्मीदवारों की भूमिका
चुनाव में कई स्वतंत्र उम्मीदवार और बागी भी शामिल होंगे। हालांकि, उनकी किस्मत का निर्णय मतदाता करेंगे, क्योंकि लोग 14 नवंबर को चुनाव परिणामों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चुनावी मैदान में सभी दल अपनी-अपनी ताकत दिखाने में लगे हैं, जिससे यह चुनाव बिहार के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ एक चुनाव नहीं है, बल्कि यह राज्य की राजनीति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। सभी दलों की नजरें चुनावी नतीजों पर टिकी हुई हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी बिहार में सत्ता पाने में सफल होती है।