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चीन की मुद्रा युआन का अंतर्राष्ट्रीयकरण: वित्तीय एकीकरण की दिशा में कदम चीन ने अपनी मुद्रा युआन (रेनमिन्बी) के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।…

चीन की मुद्रा युआन का अंतर्राष्ट्रीयकरण: वित्तीय एकीकरण की दिशा में कदम

चीन ने अपनी मुद्रा युआन (रेनमिन्बी) के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस प्रक्रिया में, चीन ने क्षेत्रीय स्तर पर वित्तीय एकीकरण को मजबूत करने, मुद्रा स्वैप समझौतों का विस्तार करने, द्विपक्षीय व्यापार निपटान को युआन में करने और क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। यह पहल न केवल चीन की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है, बल्कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली में युआन की भूमिका को भी बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

युआन का अंतर्राष्ट्रीयकरण चीन की सरकार की एक दीर्घकालिक रणनीति है, जिसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार और वित्तीय लेनदेन में युआन की भागीदारी को बढ़ाना है। इसके साथ ही, यह कदम चीन की आर्थिक शक्ति को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने में भी मदद करेगा। ऐसे में, विभिन्न देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना और युआन में लेन-देन को प्राथमिकता देना, चीन की वित्तीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा है।

वित्तीय एकीकरण और मुद्रा स्वैप समझौते

चीन ने विभिन्न देशों के साथ वित्तीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई मुद्रा स्वैप समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। ये समझौते चीन के व्यापारिक भागीदारों को युआन में लेनदेन करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें अमेरिकी डॉलर जैसे अन्य प्रमुख मुद्राओं पर निर्भरता कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, ये समझौते चीन के लिए अपने निर्यात को बढ़ाने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बनते जा रहे हैं।

  • विभिन्न देशों के साथ मुद्रा स्वैप समझौतों का विस्तार: अमेरिका, रूस, और कई एशियाई देशों के साथ समझौतों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
  • वाणिज्यिक लेन-देन में युआन का उपयोग: चीन अपने व्यापारिक भागीदारों को युआन में लेन-देन करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
  • वैश्विक वित्तीय प्रणाली में युआन की भूमिका: युआन का उपयोग बढ़ाने से चीन को वैश्विक वित्तीय मंच पर एक नई पहचान प्राप्त होगी।

क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम

चीन ने क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS) के विकास को भी बढ़ावा दिया है। यह सिस्टम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युआन में लेन-देन को आसान बनाता है और इससे वैश्विक वित्तीय लेनदेन की गति में भी वृद्धि होती है। CIPS का उद्देश्य चीनी बैंकिंग प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय बाजार के साथ जोड़ना है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए चीन में निवेश करना और भी सरल हो जाएगा।

इस प्रणाली के माध्यम से, चीन ने युआन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल भुगतान विकल्पों को भी शामिल किया है। इससे न केवल व्यापारिक लेन-देन में तेजी आएगी, बल्कि यह चीन के लिए एक नई डिजिटल अर्थव्यवस्था का निर्माण करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। चीन की इस पहल से अन्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य की संभावनाएँ

चीन का युआन का अंतर्राष्ट्रीयकरण केवल एक आर्थिक परिवर्तन नहीं, बल्कि यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक नई दिशा को भी दर्शाता है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य देश इस दिशा में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। यदि चीन सफल होता है, तो इससे न केवल वैश्विक व्यापार संतुलन में बदलाव आएगा, बल्कि यह अन्य देशों के लिए भी एक नया वित्तीय मॉडल प्रस्तुत कर सकता है।

इसके अलावा, युआन की बढ़ती लोकप्रियता से चीन के लिए कई अवसर भी उत्पन्न होंगे। चीन की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ, यह वैश्विक स्तर पर चीन की स्थिति को भी मजबूत करेगा। युआन का उठान न केवल चीन की वित्तीय शक्ति को दर्शाएगा, बल्कि यह अन्य देशों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

इस प्रकार, चीन की यह रणनीति न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर वित्तीय स्थिरता और सहयोग को भी बढ़ावा देने का एक प्रयास है। भविष्य में, यह देखना होगा कि चीन अपनी इस रणनीति को कैसे आगे बढ़ाता है और इसके परिणामस्वरूप विश्व अर्थव्यवस्था में क्या परिवर्तन आते हैं।

अंत में, चीन की मुद्रा युआन का अंतर्राष्ट्रीयकरण न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भी एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने का प्रयास है।

| अंतिम अपडेट: 14 अक्टूबर 2025, 08:24 PM IST | स्रोत: IANS

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