बिहार राजनीति में हलचल: बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी को एक विवादित टिप्पणी के मामले में समन जारी किया गया है। यह समन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां पर की गई विवादास्पद टिप्पणी से संबंधित याचिका पर शेखपुरा जिला अदालत द्वारा जारी किया गया है। इस घटनाक्रम ने चुनावी माहौल को और भी गरम कर दिया है।
तेजस्वी यादव को दोहरी चुनौती
सोमवार की सुबह दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू परिवार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस फैसले में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर आरोप तय किए गए हैं। इसके बाद, शाम तक तेजस्वी यादव को एक और बड़ा झटका लगा जब उन्हें समन जारी किया गया। इस तरह से एक ही दिन में तेजस्वी यादव को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ा है, जिससे उनके राजनीतिक करियर पर असर पड़ सकता है।
26 नवंबर को करना होगा पेश होना
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विभा रानी द्वारा सोमवार को जारी आदेश के अनुसार, तीनों नेताओं को 26 नवंबर 2025 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से या अपने वकीलों के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश तब आया जब बीजेपी नेता हीरालाल सिंह ने यह आरोप लगाया कि दरभंगा में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान आयोजित जनसभा में पीएम मोदी की मां के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए गए थे। इस आरोप के आधार पर उन्होंने अदालत में याचिका दायर की, जिसके बाद यह समन जारी किया गया।
आगे की कार्रवाई क्या होगी?
जानकारी के मुताबिक, शेखपुरा सिविल कोर्ट के वकील गोपाल वर्णवाल ने बताया कि तीनों नेताओं को यह समन भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 223 के नए प्रावधानों के तहत जारी किया गया है। इस प्रक्रिया के तहत, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखना होगा। यदि अदालत को लगता है कि मामला गंभीर है, तो आगे की सुनवाई की जाएगी। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बिहार चुनाव से पहले इस मामले का क्या असर पड़ता है।
महागठबंधन में बढ़ती चिंताएँ
बिहार में चुनावी माहौल पहले से ही गर्म है और अब इस तरह के कानूनी झटकों से महागठबंधन की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ये नेता अदालत में अपने पक्ष को मजबूती से नहीं रख पाते हैं, तो इसका सीधा असर चुनावी प्रचार पर पड़ेगा। ऐसे में महागठबंधन को अपनी रणनीति में बदलाव करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
राजनीति में ऐसे समय में जब हर कदम महत्वपूर्ण होता है, ऐसे में इन समनों ने महागठबंधन के नेताओं की नींद उड़ा दी है। चुनाव के मद्देनजर इन मामलों को सुलझाना उनके लिए आसान नहीं होगा।
समापन विचार: बिहार की राजनीति में उठते इस नए विवाद ने महागठबंधन को एक नई चुनौती दी है। सभी की निगाहें अब अदालत की सुनवाई पर होंगी और यह देखना होगा कि क्या ये नेता अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रख पाते हैं या नहीं।
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