बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन प्रक्रिया का आगाज़ होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नेताओं और उनके समर्थकों ने फूलों के बाजारों में एक नई रोशनी बिखेरी है। चुनावी रैलियों के लिए फूलों की मालाएं, बुके और गुलाब की पंखुड़ियों की खरीदारी जोरों पर है। पटना के कंकड़बाग, बोरिंग रोड, स्टेशन रोड और पटना सिटी के फूल मंडियों का दृश्य इस समय किसी बड़े त्योहार से कम नहीं है।
चुनावों की तैयारी के साथ-साथ बाजारों में भी चुनावी गतिविधियों का असर दिखाई दे रहा है। उम्मीदवारों के समर्थक अपने नेताओं के नामांकन जुलूसों को भव्य बनाने के लिए फूलों की खरीदारी में जुटे हुए हैं। गुलाब, गेंदा और उनकी पंखुड़ियों की मांग इतनी बढ़ गई है कि व्यापारी अब तारीख और डिज़ाइन पूछकर एडवांस ऑर्डर ले रहे हैं। यह नज़ारा एक नई ऊर्जा और उत्साह का संकेत है।
फूलों की मांग और कीमतों में वृद्धि
चुनावी मौसम में फूलों की मांग के साथ-साथ उनके दामों में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस बार गुलाब और गेंदा के दामों में 30 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। थोक विक्रेता पप्पू बताते हैं, “गेंदा का एक गुच्छा, जिसमें 20 लड़ी होती है, अब 400 रुपये में मिल रहा है। वहीं, गुलाब के बुके की कीमत 300 से लेकर 1000 रुपये तक जा रही है।”
हालांकि, कीमतों में वृद्धि के कारण कुछ हद तक खरीदारी की मात्रा में कमी आई है। जो समर्थक पहले 40 से 50 हजार रुपये के फूल खरीदते थे, वे अब 20 से 30 हजार रुपये में ही अपने काम चला रहे हैं। इसके बावजूद, बाजार में रौनक और खरीददारों की भीड़ में कोई कमी नहीं आई है। यह दर्शाता है कि चुनावी माहौल में लोगों की उत्सुकता अभी भी बरकरार है।
फूलों का चुनावी लॉजिस्टिक्स
फूलों की बढ़ती मांग ने मंडियों में कामकाज का दबाव भी बढ़ा दिया है। माला गूंथने वाले कारीगरों को रात-रातभर काम करना पड़ रहा है। मंडियों में रोज़ सैकड़ों किलो फूलों की खेप आ रही है, जिन्हें ट्रकों से विभिन्न इलाकों में भेजा जा रहा है। चुनावी माहौल ने फूल व्यापारियों को नई उम्मीद दी है और उन्हें अपने व्यापार में वृद्धि का अवसर प्रदान किया है।
एक स्थानीय विक्रेता ने कहा, “चुनाव का मौसम हमारे लिए त्यौहार जैसा होता है। इस समय मंडियों में जितनी भीड़ होती है, वो साल में केवल छठ और दीवाली पर ही देखने को मिलती है।” यह स्थिति इस बात का संकेत है कि फूलों की मांग ने व्यापारियों को नई ऊर्जा दी है।
चुनाव की तैयारी केवल रैलियों, नारों और पोस्टरों तक सीमित नहीं रह गई है। इस बार फूलों की माला और गुलाब की पंखुड़ियां भी राजनीति के मंच पर अपनी खास जगह बना चुकी हैं। पटना के बाजारों में फैली यह महक यह दर्शाती है कि चुनावी राजनीति अब रंगों और खुशबुओं से भी जुड़ चुकी है।
- फूलों की खरीदारी में हो रही है तेजी
- गुलाब और गेंदा के दामों में 30-40% की वृद्धि
- मंडियों में कामकाज का बढ़ा दबाव
- चुनाव की तैयारी में शामिल हो रहे हैं फूलों के लॉजिस्टिक्स
इस चुनावी माहौल में फूलों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। यह न केवल चुनावी रैलियों को सजाने का काम कर रहे हैं, बल्कि एक नई संस्कृति का निर्माण भी कर रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में फूलों का यह उत्सव एक नई पहचान लेकर आया है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनावों में फूलों की यह रौनक किस प्रकार राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करती है। चुनावी मौसम में फूलों की यह ख़ुशबू और रंगीनियत बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने का कार्य करेगी।
Also Read: Pooja Special Train: त्योहारों में ‘पटरी’ पर ट्रैक पर 35% बढ़ा लोड, पूजा स्पेशल ट्रेनें बन गईं इंतजार की गाड़ी