Emergency: नीतीश कुमार ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग, पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद संभाला मोर्चा



Bihar Election 2025: पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। जदयू ने इस मुद्दे…

Bihar Election 2025: पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट शेयरिंग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी ने राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। जदयू ने इस मुद्दे पर एक आपात बैठक बुलाई है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता और रणनीतिकार शामिल होंगे। नीतीश कुमार के इस कदम के बाद भाजपा के नेता भी सक्रिय हो गए हैं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस मसले को गंभीरता से लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद नीतीश कुमार से बातचीत की है, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें चल रही हैं। जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा है कि नीतीश कुमार इस स्थिति से संतुष्ट हैं और कोई नाराजगी की बात नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीट शेयरिंग पर उनकी बातचीत अंतिम चरण में है और केवल औपचारिक घोषणा का इंतजार है।

बदल सकता है सीट शेयरिंग का फार्मूला

सीट शेयरिंग के विवाद को सुलझाने के लिए जदयू की बैठक आज दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री आवास पर होनी है। इस बैठक में जदयू के कई रणनीतिकार और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। चर्चा का मुख्य बिंदु उन 9 सीटों पर होगा, जिन्हें सहयोगी दलों को दिए जाने की बात की जा रही है। यह बैठक प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बातचीत के बाद आयोजित की जा रही है, जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि सीट शेयरिंग का नया फार्मूला सामने आ सकता है। नीतीश कुमार अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्रों को छोड़ने के मूड में नहीं हैं, जबकि भाजपा सभी घटक दलों को एकजुट रखने का हर संभव प्रयास कर रही है।

नीतीश कुमार का भाजपा को दो टूक

एनडीए के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर उभरे मतभेदों के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। पहला, दिल्ली में तय हुए फार्मूले के अनुसार, जदयू की ऐसी 9 सीटें सहयोगी दलों को दे दी गई हैं, जिन पर जदयू लगातार जीतता रहा है। नीतीश कुमार इन सीटों पर किसी प्रकार का समझौता नहीं करना चाहते हैं। दूसरा, जदयू और भाजपा के बीच सीटों की संख्या का अंतर है। जदयू हर हाल में भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहता है। इस स्थिति में नीतीश कुमार ने किसी भी प्रकार के समझौते के मूड में नहीं हैं। नए फार्मूले के अनुसार, जदयू को न केवल अपनी सीटें वापस मिल सकती हैं, बल्कि भाजपा से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ने का अवसर भी मिल सकता है।

इस राजनीतिक उठापटक के बीच, बिहार की जनता चुनावी माहौल को लेकर काफी उत्सुकता दिखा रही है। सभी पार्टियों के लिए यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि 2024 के आम चुनावों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों को मजबूती से तैयार कर रहे हैं।

भाजपा की सक्रियता और रणनीतियाँ

भाजपा के बिहार प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान प्रदेश स्तर के नेताओं के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। ये बैठकें इस बात को सुनिश्चित करने के लिए की जा रही हैं कि सभी घटक दलों के बीच एकता बनी रहे। कहा जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह भी आज शाम तक पटना आने की योजना बना रहे हैं, जिससे कि स्थिति को और स्पष्ट किया जा सके। भाजपा की कोशिश है कि किसी भी प्रकार की असहमति के बावजूद सभी दल एकजुट रहकर चुनावी मैदान में उतरें।

जदयू की संभावनाएँ और चुनौतियाँ

जदयू के लिए यह समय काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करने और भाजपा के साथ समन्वय बनाए रखने में संतुलन बनाना होगा। यदि जदयू अपने हाथ में अधिक सीटें रखती है, तो यह न केवल पार्टी को मजबूती प्रदान करेगा, बल्कि नीतीश कुमार की राजनीतिक छवि को भी प्रभावित करेगा। दूसरी ओर, अगर पार्टी को संतोषजनक सीटें नहीं मिलती हैं, तो आने वाले समय में जदयू की स्थिति को खतरा हो सकता है।

इस प्रकार, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सीट शेयरिंग का विवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। सभी पार्टियों की निगाहें अब इस बैठक पर हैं, जो न केवल चुनावी रणनीतियों को तय करेगी, बल्कि बिहार की राजनीति के भविष्य को भी प्रभावित करेगी।

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