मुख्यमंत्री नीतीश कुमार: जनता दल (यूनाइटेड) को छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थामने के बाद पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा पहली बार मीडिया के सामने आए हैं। उन्होंने जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संतोष कुशवाहा ने कहा कि पार्टी में केवल साढ़े तीन लोगों के कारण जदयू बिखर चुका है, और इसके चलते जदयू के सांसदों और विधायकों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एक सक्रिय गिरोह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अंधेरे में रखकर राजनीतिक निर्णय ले रहा है।
सीएम को कमजोर करने की साजिश का आरोप
संतोष कुशवाहा ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अब वह पूर्णिया और सीमांचल की जनता के सम्मान और अधिकार की लड़ाई लड़ने का निर्णय ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि धमदाहा क्षेत्र में उनका कार्य केवल किला ढाने का नहीं, बल्कि एनडीए को कोशी-सीमांचल से सूपड़ा साफ करने का भी होगा। कुशवाहा ने यह भी बताया कि उन्हें राजद में एक परिवार जैसा माहौल मिला है, जिसके चलते वे संगठन को और मजबूत बनाने का कार्य करेंगे।
इससे पहले, कुशवाहा ने कहा कि जदयू में उनके साथ जो हुआ, वह एक अपमानजनक स्थिति थी। वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन पर दबाव डालकर कदवा से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया। जब उन्होंने चुनाव की तैयारी शुरू की, तब अचानक उन्हें बताया गया कि वह वहां से चुनाव नहीं लड़ेंगे और उस सीट को लोजपा को दे दिया गया। यह स्थिति उनके लिए अत्यंत निराशाजनक थी, जिसके बाद उन्होंने राजद में शामिल होने का निर्णय लिया।
राजद में नए सफर की शुरुआत
संतोष कुशवाहा ने आगे कहा कि अब वे राजद सुप्रीमो के आदेश पर धमदाहा से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बनेंगे। पूर्व विधायक दिलीप यादव ने बताया कि संतोष कुशवाहा के राजद में आने से पार्टी और भी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर संतोष कुशवाहा के हाथों को मजबूती प्रदान करेंगे।
कुशवाहा की राजनीतिक यात्रा में यह बदलाव एक महत्वपूर्ण मोड़ है। राजद में शामिल होने के बाद, उन्होंने पार्टी के लिए अपने अनुभव और नेतृत्व कौशल का उपयोग करने का वादा किया है। राजनीति में यह स्विच उनके समर्थकों के लिए भी उत्साह का विषय है, क्योंकि इससे पार्टी का आधार और मजबूत होगा।
बिहार चुनाव की ताजा खबरें
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियाँ तेज हो गई हैं। सभी पार्टियाँ अपने-अपने स्तर पर उम्मीदवारों का चयन कर रही हैं। हाल ही में भाजपा ने अपनी पहली सूची में 50% से ज्यादा टिकट दलित, पिछड़ा और महिला उम्मीदवारों को दिए हैं, जिससे राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि संतोष कुशवाहा और राजद इस चुनाव में क्या रणनीति अपनाते हैं।
बिहार की राजनीति में संतोष कुशवाहा का यह कदम एक नई दिशा दे सकता है। उनकी ओर से उठाए गए कदम और राजद में उनका योगदान निश्चित रूप से पार्टी की ताकत को बढ़ाने में सहायक होगा। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे अपने नए प्लेटफार्म पर किस तरह से जनता के बीच अपनी पहचान बना पाते हैं और चुनावी मैदान में क्या प्रदर्शन करते हैं।