बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटों का बंटवारा आखिरकार निर्धारित हो गया है, लेकिन उम्मीदवारों की घोषणा अब तक नहीं हुई है। सोमवार शाम को एनडीए की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित होने वाली थी, लेकिन कार्यक्रम से पहले ही संबंधित ट्वीट को डिलीट कर दिया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
गिरिराज सिंह के ट्वीट से बढ़ी सियासी हलचल
इस बीच, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का सोशल मीडिया पर किया गया एक पोस्ट सियासी हलचल का नया केंद्र बन गया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए लिखा, “ये होता है असली स्ट्राइक रेट… 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए ने इतिहास रचा था। 243 में से 206 सीटें जीतीं। जेडीयू ने 141 में से 115 (81%) और बीजेपी ने 102 में से 91 (89%) सीटें जीतीं। तब भी धर्मेंद्र प्रधान प्रभारी थे, आज भी हैं।”
बातचीत के बाद बनी सहमति
गिरिराज सिंह के इस बयान के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह एनडीए के अंदर चल रही खींचतान, विशेष रूप से लोजपा (रामविलास) और बीजेपी के बीच सीटों की सौदेबाजी पर संकेत है। सूत्रों का कहना है कि एनडीए में सीट शेयरिंग पर सहमति बनने में कई दिनों तक माथापच्ची चली। अंततः यह तय हुआ कि बीजेपी और जेडीयू दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें, उपेंद्र कुशवाहा की RLM को 6 सीटें और जीतनराम मांझी की हम पार्टी को भी 6 सीटें दी जाएंगी।
चिराग ने मांगी अतिरिक्त सीटें
दिल्ली में हुई इन बैठकों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा। बताया जा रहा है कि चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव के स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए बीजेपी से अतिरिक्त सीटें मांगीं। उनके दबाव में आकर ही उन्हें 29 सीटें मिलीं, जबकि वे शुरू में केवल 25 पर सहमत थे।
गिरिराज का चिराग पर कटाक्ष
सूत्रों के मुताबिक, गिरिराज सिंह का पोस्ट इसी ‘स्ट्राइक रेट राजनीति’ पर कटाक्ष है। उन्होंने इशारों में बताया कि एनडीए की सबसे बड़ी जीत 2010 में हुई थी, जब बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने 243 में से 206 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय भी धर्मेंद्र प्रधान ही चुनाव प्रभारी थे, और अब भी वही भूमिका निभा रहे हैं।
यह चुनाव न केवल बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी कई राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। बिहार चुनाव 2025 में विभिन्न दलों की रणनीतियाँ और गठबंधन की स्थिति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इस चुनाव में खासकर उन मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है जो बिहार की जनता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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