Tablet: बिहार में बचपन की कैद, रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े



बिहार समाचार: डिजिटल युग में आजकल के बच्चे भी तकनीक की चपेट में आ गए हैं। हाल ही में मुजफ्फरपुर में सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के संबंध में…

बिहार समाचार: डिजिटल युग में आजकल के बच्चे भी तकनीक की चपेट में आ गए हैं। हाल ही में मुजफ्फरपुर में सीबीएसई स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के संबंध में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, 5 से 7 साल की उम्र के लगभग 37 प्रतिशत और 8 से 11 साल के बच्चों में 49 प्रतिशत के पास अपना टैबलेट है। इसके साथ ही, 8 से 11 वर्ष की आयु के 66 प्रतिशत बच्चे टैबलेट पर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। यह आंकड़े सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि 12 प्रतिशत बच्चे प्रतिबंधित साइट्स पर भी जा रहे हैं।

आईएएमएआई की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

यह जानकारी इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) की एक रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट को एनसीईआरटी द्वारा सीबीएसई स्कूलों के साथ साझा किया गया है, जिसके बाद सीबीएसई ने बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण के लिए अभिभावकों और शिक्षकों के लिए कुछ आवश्यक गाइडलाइन जारी की हैं। यह कदम बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

बच्चों की स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए सुझाव

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण पाने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को तैयार करने की योजना बनाई जा रही है। एनसीईआरटी की ओर से अभिभावकों और शिक्षकों को साइबर सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस दिशा में उठाए गए कदमों से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बच्चे सुरक्षित और सतर्क रहें।

साइबर सुरक्षा के दिशा निर्देशों की आवश्यकता

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 5 से 7 वर्ष के 62 प्रतिशत बच्चे सप्ताह में 6 घंटे से अधिक ऑनलाइन गेम खेलते हैं, जबकि 8-11 वर्ष की आयु के 79 प्रतिशत बच्चे सप्ताह में 9 घंटे से अधिक ऑनलाइन गेमिंग में समय बिताते हैं। यह आंकड़े बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, इसलिए उनके लिए उचित दिशा निर्देशों की आवश्यकता है।

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अभिभावकों को भी मोबाइल से दूरी बनानी चाहिए

यह समस्या केवल बच्चों तक सीमित नहीं है, बल्कि इस उम्र के 45 प्रतिशत बच्चे अपने मोबाइल फोन को बिस्तर पर ले जाकर सोते हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सीबीएसई ने अभिभावकों को सलाह दी है कि वे बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें और उनके साथ पासवर्ड साझा न करें। साथ ही, अभिभावकों को अपने बच्चों को ऑनलाइन चैटिंग, ग्रूमिंग, और साइबर बुलिंग के बारे में जागरूक करना चाहिए।

अभिभावकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे खाने के समय से लेकर सोने के समय तक अपने मोबाइल का उपयोग न करें, ताकि बच्चे भी तकनीक से उचित दूरी बना सकें। यह एक स्वस्थ पारिवारिक वातावरण बनाने में मदद करेगा।

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