मध्य प्रदेश में भाजपा की राजनीतिक नियुक्तियों में देरी, इंदौर विकास प्राधिकरण में नई कवायद
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को बने दो वर्ष हो चुके हैं, लेकिन प्रदेश के निगम और मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस स्थिति के बीच, इंदौर विकास प्राधिकरण में राजनीतिक बोर्ड की नई कवायद शुरू की जा रही है। प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की कमी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, और विभिन्न नेता अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए भोपाल के शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क साधने में जुट गए हैं।
इंदौर के कई नेता अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। इनमें से हर कोई अपने राजनीतिक आकाओं के जरिए भोपाल में पदाधिकारियों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है। इस पद के लिए न केवल संगठन की पसंद महत्वपूर्ण होगी, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पसंद भी इस बार मायने रखेगी। ऐसे में नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा और भी बढ़ गई है।
इंदौर में भाजपा अध्यक्ष पद के दावेदारों की सूची
अध्यक्ष पद के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं। इनमें पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे, मुकेश राजावत, जीतू जिराती, टीनू जैन, सुदर्शन गुप्ता और हरिनारायण यादव शामिल हैं। राजावत और टीनू जैन पहले भी नगर अध्यक्ष की दौड़ में थे, लेकिन तब संगठन ने सुमित मिश्रा को नगर अध्यक्ष नियुक्त किया था। इस बार दोनों को अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार माना जा रहा है। दीपावली के बाद किसी भी समय अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है।
- गौरव रणदीवे
- मुकेश राजावत
- जीतू जिराती
- टीनू जैन
- सुदर्शन गुप्ता
- हरिनारायण यादव
अध्यक्ष के साथ-साथ उपाध्यक्ष और संचालक मंडल के सदस्यों की नियुक्ति भी की जाएगी। पिछली बार दो बार अध्यक्ष की घोषणा की गई थी और कुछ समय बाद संचालक मंडल का गठन किया गया था। लेकिन इस बार संगठन ने स्पष्ट किया है कि अध्यक्ष के साथ ही संचालक मंडल का भी गठन किया जाएगा।
भाजपा की नगर कार्यकारिणी की जल्द घोषणा
भाजपा की नगर कार्यकारिणी की घोषणा भी जल्दी ही होने की संभावना है। इसके लिए पिछले तीन महीनों में रायशुमारी की जा चुकी है, और विभिन्न नामों पर चर्चा की गई है। पार्टी के भीतर इस प्रक्रिया को लेकर उत्सुकता बढ़ी हुई है, और सभी नेता अपने-अपने स्तर पर तैयारियों में जुटे हुए हैं।
भाजपा के कार्यकर्ताओं में इस बार अध्यक्ष पद को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। राजनीतिक नियुक्तियों की इस प्रक्रिया के अंतर्गत पदाधिकारियों के चयन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता लाने के लिए पार्टी ने कई कदम उठाए हैं। इससे न केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि संगठनात्मक संरचना भी मजबूत होगी।
निष्कर्ष
राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में देरी से भाजपा के कार्यकर्ताओं में असंतोष भी पनप सकता है। ऐसे में पार्टी के लिए यह आवश्यक है कि वह जल्द से जल्द इन नियुक्तियों को पूरा करे। इंदौर विकास प्राधिकरण में शुरू हो रही राजनीतिक बोर्ड की कवायद इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। अब देखना यह है कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है।
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