“Dhanteras: धनवंतरी भगवान या कुबेर देव, किसकी पूजा होती है?”



दिवाली का यह 5 दिनों का उत्सव हर साल धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के…

दिवाली का यह 5 दिनों का उत्सव हर साल धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर समाप्त होता है। धनतेरस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन घर में रखे धन की पूजा करने के साथ-साथ नई खरीदारी करना भी बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस के दिन किस देवता की पूजा की जानी चाहिए? आम लोगों को यह पता है कि धनतेरस का मतलब धन से जुड़ा त्योहार है और इस दिन कुबेर देव की पूजा होती है, जबकि असल में इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा का विधान है। इसलिए, आज हम वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानेंगे कि धनतेरस का असली अर्थ क्या है और इस दिन किसकी पूजा करनी चाहिए।

भगवान धनवंतरी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था तब 14 रत्नों में से एक तेरहवां रत्न भगवान धनवंतरी थे। यह माना जाता है कि भगवान धनवंतरी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र से प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाने लगा। भगवान धनवंतरी आयुर्वेद के जन्मदाता और चिकित्सा के ज्ञाता माने जाते हैं। वे आरोग्य का वरदान प्रदान करते हैं और व्यक्ति को उसकी बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं। इस प्रकार, उनकी पूजा से व्यक्ति को स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है।

कुबेर देव का परिचय

कुबेर देव का जन्म समुद्र मंथन से नहीं हुआ, बल्कि वे ऋषि विश्रवा और उनकी पत्नी इलविला के पुत्र थे। कुबेर देव के जन्म के बाद, भगवान शिव ने उन्हें धन के देवता के पद पर आसीन किया। यह भी कहा जाता है कि जब सभी देवी-देवताओं की पूजा के लिए विशेष दिन निर्धारित किए गए थे, तब कुबेर देव की प्रार्थना पर भगवान शिव ने धनतेरस का पर्व चुना। इस दिन कुबेर देव की पूजा करने से आरोग्य और धन की प्राप्ति का आश्वासन दिया गया।

धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा के लाभ

धनतेरस पर भगवान धनवंतरी की पूजा करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। चूंकि धनवंतरी को देवताओं का वैद्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से भक्त को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। दिवाली से ठीक पहले उनकी पूजा करने से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि केवल धन ही नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य भी सबसे बड़ा धन है, जिससे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है।

धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा के लाभ

धनतेरस के दिन कुबेर देव की पूजा करने से घर में धन की स्थिरता और बचत बढ़ती है। माता लक्ष्मी धन देती हैं, लेकिन कुबेर देव उस धन को सुरक्षित रखते हैं और उसकी वृद्धि करते हैं। उनकी पूजा से घर की तिजोरी हमेशा भरी रहने का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही, आर्थिक तंगी दूर होती है और व्यापार या नौकरी में तरक्की के नए रास्ते खुलते हैं। इसलिए धनतेरस पर कुबेर देव की पूजा से स्थायी सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।

धनतेरस के दिन की अनिवार्य पूजा विधि

धनतेरस के दिन पूजा करना एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन भक्तों को निम्नलिखित विधियों का पालन करना चाहिए:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • घर के पूजा स्थान को साफ करें और वहां पर भगवान धनवंतरी और कुबेर देव की मूर्तियां स्थापित करें।
  • धनवंतरी की पूजा के लिए दूध, दही, शहद, घी और चंदन का उपयोग करें।
  • कुबेर देव की पूजा के लिए सोने, चांदी या अन्य बहुमूल्य वस्तुओं का अर्पण करें।
  • पूजा के बाद आरती करें और सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद बांटें।

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व

धनतेरस पर खरीदारी करना भी विशेष महत्व रखता है। इस दिन सोने, चांदी, बर्तन, झाड़ू और नए वाहन खरीदने को शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई खरीदारी से धन में वृद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन की गई खरीदारी से भक्तों को धन की देवी माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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image credit: herzindagi

FAQ

धनतेरस के दिन कितने दीये जलाने चाहिए?
धनतेरस के दिन 13 दीये जलाने चाहिए।

धनतेरस के दिन क्या खरीदना शुभ माना जाता है?
धनतेरस के दिन सोना, चांदी, झाड़ू, बर्तन और नया वाहन खरीदना शुभ माना जाता है।

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