दिवाली का पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, और यह एक ऐसा त्योहार है जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के 14 वर्षों के वनवास से लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर अयोध्या में प्रवेश किया था और नगरवासियों ने उनकी स्वागत के लिए दीप जलाए थे। तभी से दीप जलाने की परंपरा चली आ रही है।
दिवाली का पर्व सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, खुशी और पारिवारिक एकता का प्रतीक है। लोग इस अवसर पर अपने घरों की सफाई करते हैं, उन्हें सजाते हैं और एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं। इस दिन विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि लक्ष्मी माता की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि और धन का आगमन होता है। इसलिए, इस दिन पूजा का सही समय और विधि का पालन करना बहुत आवश्यक है। इस वर्ष दिवाली कब मनाई जाएगी, इस पर भी कई सवाल उठते हैं।
दिवाली 2025 कब है?
इस वर्ष, वैदिक पंचांग के अनुसार, दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। यह पर्व कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 20 अक्टूबर को पड़ेगी।
- कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि का आरंभ: 20 अक्टूबर, सोमवार, दोपहर 3:44 बजे से
- कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि का समापन: 21 अक्टूबर, मंगलवार, शाम 5:54 बजे तक।
- दिवाली की पूजा: अमावस्या तिथि पर रात के समय होती है, इसलिए शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को ही है।
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दिवाली 2025 का शुभ मुहूर्त
इस साल अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर दोनों दिन पड़ेगी, लेकिन दिवाली की पूजा 20 अक्टूबर को करना ही शुभ होगा। आइए जानें दिवाली पूजन के शुभ मुहूर्त के बारे में यहां विस्तार से:
- कार्तिक अमावस्या आरंभ: 20 अक्टूबर, दोपहर 3:44 बजे
- कार्तिक अमावस्या समापन: 21 अक्टूबर, शाम 5:54 बजे
- कार्तिक अमावस्या ब्रह्म मुहूर्त: 20 अक्टूबर प्रातः 4:44 से 5:34 तक
- सूर्योदय: 20 अक्टूबर, प्रातः 6:25 बजे
- प्रदोष काल मुहूर्त: 20 अक्टूबर, 5:56 से 8:18 तक
- निशिता मुहूर्त: 20 अक्टूबर को रात 11:41 बजे से 12:31 बजे तक
- कार्तिक अमावस्या प्रातःकालीन स्नान: 21 अक्टूबर, प्रातः 4:44 से 5:35 तक
- विजय मुहूर्त: 21 अक्टूबर, दोपहर 1:59 बजे से 2:45 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: 21 अक्टूबर, शाम 5:46 बजे से 6:12 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: 21 अक्टूबर, दोपहर 11:43 से दोपहर 12:28 तक
- राहुकाल: 21 अक्टूबर, दोपहर 2:55 से शाम 4:00 बजे तक, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य न करें।
दिवाली का महत्व क्या है?
दिवाली की रात को सभी लोग अपने घरों और आस-पड़ोस में दीप जलाते हैं, जिससे हर कोना रोशनी से भरा होता है। यह रात बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचने का एक विशेष समय माना जाता है। इस समय माता लक्ष्मी की पूजा करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। लोग अपने मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, माता लक्ष्मी के चरण और शंख जैसे चिह्न बनाते हैं, जिससे लक्ष्मी माता का ध्यान आकर्षित होता है और घर में धन एवं समृद्धि का आगमन होता है।
दिवाली सिर्फ धन और समृद्धि का पर्व नहीं है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने और पुराने दुखों से मुक्ति पाने का अवसर भी है। यदि आप इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजन करेंगी तो निश्चित रूप से इसके अच्छे फल प्राप्त होंगे। यह पर्व न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक खुशी का प्रतीक है। दिवाली का यह त्योहार हमें सिखाता है कि अंधकार से प्रकाश की ओर, और नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर बढ़ना चाहिए।
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