“Festival: धनतेरस पर क्यों खरीदा जाता है धनिया और झाड़ू? कुबेर जी की पूजा का क्या है महत्व? त्योहार से जुड़े ऐसे 11 सवाल जिनके जवाब आपको भी कर सकते हैं हैरान”



धनतेरस का पर्व दीपावली के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे मनाने के पीछे कई धार्मिक और ज्योतिषीय कारण…

धनतेरस का पर्व दीपावली के त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इसे मनाने के पीछे कई धार्मिक और ज्योतिषीय कारण छिपे हुए हैं। इस दिन लोग नए बर्तन, सोना-चांदी, झाड़ू, धनिया, और अन्य शुभ वस्तुएं खरीदते हैं, जिससे यह माना जाता है कि माता लक्ष्मी और कुबेर जी की कृपा वर्षभर बनी रहेगी। धनतेरस की परंपराओं और मान्यताओं के पीछे जो गूढ़ता है, वह इसे और भी खास बनाती है। आइए, हम जानते हैं धनतेरस के पर्व से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवालों और उनके उत्तरों के बारे में, जो ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी द्वारा साझा किए गए हैं।

धनतेरस का पर्व: महत्व और मान्यता

धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन से धनवंतरी जी का प्रकट होना हुआ था, जब वे हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए, इस दिन को ‘धनवंतरी जयंती’ भी कहा जाता है। इस पर्व का महत्व इसलिए भी है कि यह धन और समृद्धि के देवता कुबेर जी की पूजा का दिन है, जिससे घर में धन के प्रवाह को बढ़ावा मिलता है।

कुबेर जी की पूजा: धनतेरस की विशेषता

कुबेर देवता को धन का देवता माना जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि धनतेरस की रात को कुबेर जी की पूजा करने से घर की तिजोरी हमेशा भरी रहती है। कुबेर जी को आशीर्वाद मिला था कि दिवाली से कुछ दिन पहले उनकी पूजा की जाए, जिससे धन के मार्ग खुलते हैं। इस दिन कुबेर जी की पूजा से धन लाभ की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

धनिया खरीदने का महत्व

धनतेरस के दिन धनिया खरीदना एक विशेष परंपरा है। ‘धनिया’ शब्द में ‘धन’ छिपा हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसका संबंध धन से है। इस दिन धनिया खरीदकर घर लाने और पूजा में इसका उपयोग करने से यह माना जाता है कि आपके घर में धन की कमी नहीं होगी और समृद्धि बनी रहेगी।

दीप जलाने की परंपरा

धनतेरस की रात को घर के मुख्य द्वार पर 13 दीपक जलाने की परंपरा है। ये दीपक यमराज के नाम पर जलाए जाते हैं, ताकि परिवार में अकाल मृत्यु का भय न रहे। इस परंपरा का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे घर में सुख और शांति बनी रहती है।

बर्तन खरीदने के शुभ कारण

धनतेरस पर बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। हालांकि, बर्तन खरीदते समय ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कभी भी खाली घर न लाएं। हमेशा कुछ सिक्के या मिठाई रखकर ही नए बर्तन घर लाने चाहिए। इससे घर में बरकत बनी रहती है और धन की वृद्धि होती है।

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दान की परंपराएं

धनतेरस के दिन गरीबों को दीपक, बर्तन या मिठाई का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन इस दिन भूलकर भी किसी को पैसे का दान नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है। दान का महत्व इस दिन और भी अधिक बढ़ जाता है।

शुभ रंगों का चुनाव

धनतेरस पर सुनहरा, लाल, हरा और पीला रंग बेहद शुभ माना जाता है। इन रंगों को पहनने से जीवन में धन और समृद्धि का प्रवाह बना रहता है। इसलिए, इस दिन इन्हीं रंगों के कपड़े पहनना फायदेमंद होता है।

सोने-चांदी की खरीदारी का महत्व

धनतेरस के दिन सोना या चांदी खरीदना माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन खरीदी गई धातु घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है और पूरे साल आर्थिक उन्नति का मार्ग खोलती है। इस दिन सोना-चांदी खरीदने से समृद्धि का आगमन होता है।

धनतेरस पर खरीदारी के निषेध

धनतेरस पर लोहे का सामान और नुकीली चीजें खरीदना वर्जित माना जाता है। इन चीजों की खरीदारी से अशुभता आने का खतरा होता है। इसलिए इस दिन सही चीजों की खरीदारी करना महत्वपूर्ण है।

घी का दान: अमृत दान के समान

धनतेरस पर घी का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि घी का दान कई जन्मों के पुण्य का फल देता है। इस दिन घी का दान करने से जीवन में खुशियों और समृद्धि का संचार होता है।

यदि आप धनतेरस से जुड़ी इन परंपराओं और मान्यताओं के बारे में नहीं जानते थे, तो अब आप इन महत्वपूर्ण बातों से अवगत हो चुके हैं। यदि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए हरजिंदगी से जुड़े रहें।

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