बिहार चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में छपरा सीट पर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। शहर की पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। बुधवार को राखी गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। खास बात यह है कि नामांकन से कुछ घंटे पहले तक उन्हें भाजपा से उम्मीदवार बनाने के लिए सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था।
भाजपा से टिकट की उम्मीद में थीं राखी गुप्ता
राखी गुप्ता ने चुनावी प्रक्रिया की सभी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर ली थीं और वे पार्टी से टिकट मिलने का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। लेकिन जब उन्हें पता चला कि भाजपा ने अंतिम क्षणों में उनका टिकट काट दिया है, तो उन्होंने बिना किसी देरी के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस तरह का निर्णय उनके लिए न केवल व्यक्तिगत बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
नामांकन के दौरान दिखी भारी भीड़
राखी गुप्ता के नामांकन के समय भारी भीड़ देखने को मिली, जो उनकी स्थानीय लोकप्रियता और जनाधार को दर्शाती है। मेयर के रूप में कार्यकाल के दौरान, उन्होंने शहर में कई महत्वपूर्ण विकास कार्य किए थे। नगर निगम चुनाव में उनकी जीत भी बड़े अंतर से हुई थी। हालांकि, एक न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन इसके बावजूद वे जनता के बीच अपनी पहचान बनाए रखने में सफल रहीं।
राखी गुप्ता का चुनावी संकल्प
मीडिया से बातचीत करते हुए राखी गुप्ता ने स्पष्ट किया कि उनका चुनाव लड़ने का संकल्प अडिग है। उन्होंने कहा, “मैं शुरू से कह रही थी कि मुझे चुनाव लड़ना है तो लड़ना है। पार्टी से बागी होने की कोई बात नहीं है। मैंने पार्टी पर भरोसा किया था, लेकिन अंत में मुझे धोखा मिला है। मैं छपरा का विकास करना चाहती हूं। जनता मुझे अच्छी तरह जानती है और मैंने मेयर रहते हुए जो कार्य किए हैं, वे भी लोगों को याद हैं।” उनके इस बयान से स्पष्ट होता है कि वे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कितनी गंभीर हैं।
निर्दलीय उम्मीदवार बनने से बिगड़े समीकरण
राखी गुप्ता पिछले कई वर्षों से छपरा विधानसभा सीट पर सक्रिय थीं और भाजपा के टिकट के लिए लगातार संगठन के संपर्क में थीं। उनके निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा के लिए समीकरण बिगड़ सकते हैं। अब छपरा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है, जिसमें भाजपा, महागठबंधन और राखी गुप्ता के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
इस घटनाक्रम ने न केवल भाजपा के चुनावी रणनीति को प्रभावित किया है, बल्कि स्थानीय मतदाताओं के बीच भी एक नया विमर्श शुरू कर दिया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि राखी गुप्ता अपनी लोकप्रियता को सही तरीके से भुना पाती हैं, तो वे छपरा सीट पर एक मजबूत चुनौती पेश कर सकती हैं।
भाजपा का संभावित जवाब और चुनावी रणनीति
इस स्थिति का सामना करते हुए भाजपा को अब अपनी रणनीतियों को पुनः परखने की जरूरत है। पार्टी के नेता अब यह समझने में जुट गए हैं कि कैसे वे राखी गुप्ता के निर्दलीय उम्मीदवार बनने के बाद मतदाताओं को अपने पक्ष में कर सकते हैं। भाजपा की यह कोशिश होगी कि वे अपने पुराने कार्यों को और अधिक प्रभावी ढंग से जनता के सामने रखें, ताकि मतदाता उनकी विकास योजनाओं के प्रति आकर्षित हो सकें।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि छपरा विधानसभा चुनाव 2025 अब एक दिलचस्प मुकाबले की ओर बढ़ रहा है। राखी गुप्ता की निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एंट्री ने इस चुनावी महासमर में एक नया मोड़ ला दिया है। उनके इस कदम से न केवल भाजपा की स्थिति चुनौती में है, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि स्थानीय नेता अपनी पहचान बनाए रखने के लिए कितने संघर्ष करते हैं।
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