बिहार चुनाव 2025: समय की गति में बदलाव को समझना कठिन नहीं है। यह बदलाव तेजस्वी यादव के नामांकन के दौरान साफ दिखाई दिया। एक समय था जब लालू यादव पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे, तब उन्होंने 1977 में जीप से नामांकन भरा था। आज, जब लालू यादव अपने बेटे के नामांकन में व्हीलचेयर पर बैठे हुए दिखाई दिए, तो यह उनके राजनीतिक सफर का एक नया अध्याय था। लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती के साथ व्हीलचेयर पर बैठकर हाजीपुर समहरणालय पहुंचे, जहां तेजस्वी यादव ने राघोपुर से नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी थी, जिसने इस कार्यक्रम को और भी खास बना दिया।
लालू यादव का ऐतिहासिक चुनावी सफर
लालू यादव के पास लगभग 48 साल का राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने छात्र यूनियन, संसद, विधानसभा, विधान परिषद जैसी कई चुनावी प्रक्रियाओं में भाग लिया है। लेकिन जब वह पहली बार चुनावी मैदान में उतरे थे, तब उनकी कहानी कुछ अलग थी। 1977 में लालू यादव ने पहली बार लोकसभा का चुनाव सारण सीट से लड़ा था। उस समय उनकी उम्र मात्र 29 साल थी। इस युवा नेता ने जीप पर बैठकर सारण पहुंचकर अपने नामांकन को एक नया मोड़ दिया। अपने छात्र जीवन के दौरान पटना विश्वविद्यालय में छात्र नेता रहे लालू यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।
लालू यादव की पहली जीत ने उन्हें संसद में सबसे कम उम्र के युवा नेताओं में शामिल कर दिया। 1977 से 1990 तक बिहार की राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए, और लालू यादव इस बदलाव के केंद्र में रहे। उन्होंने 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और इसके बाद 2004 से 2009 तक यूपीए सरकार में रेल मंत्री के पद पर भी रहे। उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने भी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में तीन कार्यकाल पूरे किए हैं।
समर्थकों की भारी भीड़ का उत्साह
लालू यादव को देखने के लिए हजारों समर्थक हाजीपुर अनुमंडल में एकत्रित हुए। यह भीड़ इस बात का प्रमाण है कि उनकी राजनीतिक पहचान आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। राघोपुर सीट, जो कि राजद का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है, से तेजस्वी यादव तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी विधायक रह चुके हैं। हाजीपुर का पूरा इलाका इस समय चुनावी माहौल में डूबा हुआ है और सभी की नजरें राघोपुर की इस महत्वपूर्ण सीट पर टिकी हुई हैं।
राघोपुर सीट का महत्व
राजनीति के विश्लेषकों का मानना है कि राघोपुर सीट की राजनीतिक स्थिति काफी महत्वपूर्ण है। राजद का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर तेजस्वी यादव की जीत पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस सीट पर चुनावी माहौल को लेकर स्थानीय लोगों में काफी उत्साह है। तेजस्वी यादव के नामांकन के दौरान समर्थकों की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि राजद के प्रति लोगों का समर्थन अभी भी अटूट है। यह चुनावी माहौल इस बार भी तेजस्वी यादव के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
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