Bisaahee: मनोवैज्ञानिक थ्रिलर फिल्म बिसाही ने समाज की कड़वी सचाइयों को उजागर करते हुए बॉक्स ऑफिस पर अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। यह फिल्म ग्रामीण भारत में प्रचलित डायन बिसाही प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों को दर्शाती है और रिलीज के तीन हफ्ते बाद भी सिनेमाघरों में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रही हैं एक्ट्रेस इंदु प्रसाद, जिनका सशक्त और साहसी अभिनय दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है। गोआ में जन्मी इंदु, जो नौसेना के अनुशासन से प्रेरित हैं, फिल्म में आशा के किरदार में इस दमनकारी प्रथा के खिलाफ एक मजबूत आवाज बनकर उभरी हैं।
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महिला का दर्द व प्रतिरोध को प्रामाणिक ढंग से पर्दे पर उतारा
फिल्म बिसाही में इंदु प्रसाद ने आशा नामक एक बहादुर ग्रामीण महिला का किरदार निभाया है, जो दमनकारी प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाकर एक मजबूत स्टैंड लेती है। इंदु के लिए यह भूमिका न केवल चुनौतीपूर्ण थी, बल्कि संतोषजनक भी रही। फिल्म में एक मजबूत सामाजिक समझ की आवश्यकता थी, और आशा उन लाखों लोगों का प्रतिनिधित्व करती है जो अंधविश्वास और डर के माहौल में भी सच्चाई के लिए खड़े होने का साहस रखते हैं। इंदु का अभिनय इस साधारण लेकिन साहसी ग्रामीण महिला के दर्द और प्रतिरोध को प्रामाणिकता से दर्शाने में सफल रहा है, जिसके कारण दर्शक उनके किरदार से गहराई से जुड़ गए हैं।
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क्रिमिनल जस्टिस 2 में रज्जो के किरदार से मिली पहचान
इंदु प्रसाद ने पिछले सात से आठ वर्षों से फिल्म और टेलीविजन में काम किया है। उन्हें इंडस्ट्री में एक बहुमुखी प्रतिभा वाली अभिनेत्री के रूप में पहचान मिली है। इंदु को सबसे बड़ा ब्रेक वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस सीजन 2 (बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स) से मिला, जिसका निर्देशन रोहन सिप्पी ने किया था। इसमें उन्होंने रज्जो नामक एक गर्भवती स्टोनर ड्रगिस्ट का चुनौतीपूर्ण किरदार निभाया, जिसे आलोचकों ने सराहा। इसके अतिरिक्त, इंदु ने टीवी शो एक महानायक डॉ बीआर अंबेडकर में भी आरती के रूप में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाया। इसके अलावा, इंदु ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों के लिए मॉडलिंग और विज्ञापन भी किए हैं।
वास्तविक कब्रिस्तान में फिल्माए गए कुछ सीक्वेंस
इंदु प्रसाद का कहना है कि बिसाही पर काम करना एक अविस्मरणीय यात्रा थी। फिल्म की कहानी में प्रामाणिकता लाने के लिए कुछ सीक्वेंस वास्तविक कब्रिस्तान में फिल्माए गए थे। इंदु ने अपने शूटिंग अनुभव को साझा करते हुए बताया कि रात के सन्नाटे में उस स्थान का माहौल और कहानी का गंभीर विषय सेट पर एक नैतिक तनाव पैदा करता था। ऐसे माहौल में शूटिंग करना आसान नहीं था, इसने बतौर एक्टर उनके साहस की परीक्षा ली। हालांकि, इस गहन प्रक्रिया के दौरान कलाकारों और क्रू के बीच हंसी-मजाक और बॉंडिंग के पल भी थे, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को उनके करियर के सबसे यादगार अनुभवों में से एक बना दिया।
तीसरे हफ्ते भी सिनेमाघरों में मजबूती से कायम है फिल्म
सीमित बजट में बनी बिसाही रिलीज के तीन हफ्ते बाद भी देशभर के 75 सिनेमाघरों में सफलतापूर्वक जारी है। इसे खासकर बिहार, झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के सिंगल-स्क्रीन थिएटरों में शानदार रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिल्म के निर्माता नरेंद्र पटेल ने फिल्म की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह दिखाता है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बदलाव का माध्यम भी हो सकता है।